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TALLY PRIME COURSE BY ANUGRAH COMPUTER TRAINING INSTITUTE JOIN COURSE CALL 9343666149

  

TALLY PRIME & ERP FULL COURE BY ANUGRAH COMPUTER INSTITUTE

EMAX INDIA INSTITUTE & IDEED GOVT / 9001:2015




 

 

1.    टैली प्राइम का परिचय (Introduction to Tally Prime)

टैली (Tally) क्या है?

टैली एक आर्थिक सॉफ़्टवेयर है जो छोटे और मंझले व्यापारों के लिए अकाउंटिंग, इन्वेंट्री मैनेजमेंट, टैक्सेशन, और अन्य बिजनेस फाइनेंस कार्यों को सरल और प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक ऑनलाइन या ऑफलाइन सॉफ़्टवेयर है, जो Windows और Cloud प्लेटफॉर्म पर कार्य करता है।

टैली व्यापारिक लेन-देन, वाउचर एंट्री, रिपोर्टिंग, GST रिपोर्टिंग, कस्टम रिपोर्टिंग जैसी सुविधाएं प्रदान करता है। यह भारतीय व्यापारों के लिए विशेष रूप से GST (Goods and Services Tax) के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।


टैली को किसने और कब बनाया?

टैली सॉफ़्टवेयर की शुरुआत भारत के भारत देश के जयंत कौल और शंकर ने की थी। इसे पहले "Tally Solutions Pvt. Ltd." के नाम से जाना जाता था, जिसे 1986 में शंकर और उनकी टीम ने विकसित किया था। इस सॉफ़्टवेयर का मुख्य उद्देश्य भारतीय व्यापारों को आसान अकाउंटिंग और बिजनेस मैनेजमेंट की सुविधा देना था।

  • संस्थापक: शंकर (Founder - Tally Solutions)
  • स्थापना वर्ष: 1986

टैली का मुख्यालय कहां है?

टैली सॉल्यूशन्स का मुख्यालय बंगलोर (Bangalore), कर्नाटका, भारत में स्थित है।

मुख्यालय:
Tally Solutions Pvt. Ltd.
बंगलोर, कर्नाटका, भारत


टैली की स्थापना के बाद से यह सॉफ़्टवेयर भारतीय व्यापारों में आकाउंटिंग और वित्तीय रिपोर्टिंग के सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक बन गया है। इसे Tally ERP 9 और अब Tally Prime के रूप में विकसित किया गया, जो व्यापारों की जरूरतों के मुताबिक ज्यादा सुविधाएं और कस्टमाइजेशन प्रदान करता है।

क्या आपको टैली के किसी और फीचर के बारे में जानकारी चाहिए?

 

Tally ERP-9

Full Form – ENTERPRISE RESOURCE PLANNING

Founder – Shyam sundar Goenka

T – transitions, A – allowed , L – Linear , L- line , Y – Yard.

Erp – Enterprise Resource Planning

It’s a Financial accounting S/W

It’s a maintain Daily Business transaction

Like – Purchases, Sales, Receipt ,Payable contra, Debit note, Credit note

It’s Provided all the according to business required Report / Bills

Also Provided GST Return Report Important for Leger Creation Taly Provided 28Pre. Generated account Groups

15 Are Primary Groups

13 Are Secondary Groups.

 

1.    How to work in Tally?

1.    Company Creation

A.   Go to company Info (Alt+F3)

(i)               Go to create option shut company (Alt+F1)

2.    Ledger Creation

A.   Go to Account info

(i)               Ledger

(ii)             Create

3.    Inventory Creation- (Stock)

A.   Go to Inventory Info

(i)               Stock groups

4.    Stock Item Creation

(i)               Units of measure

(ii)             Location (Godown)

(iii)          Stock Category – F11-F12

5.    Voucher Entry (Bills) Invoice, Transaction

A Go Accounting Voucher

 

 







 


 


 list of Tally 28 common ledger groups with their corresponding "Under" groups in table form:

Ledger Group

Under

1. Fixed Assets

Assets → Fixed Assets

2. Current Assets

Assets → Current Assets

3. Investments

Assets → Investments

4. Sundry Creditors

Liabilities → Sundry Creditors

5. Current Liabilities

Liabilities → Current Liabilities

6. Long-term Liabilities

Liabilities → Long-term Liabilities

7. Sales Accounts

Income → Sales Accounts

8. Other Income

Income → Other Income

9. Capital Gains

Income → Capital Gains

10. Purchase Accounts

Expenses → Purchase Accounts

11. Indirect Expenses

Expenses → Indirect Expenses

12. Direct Expenses

Expenses → Direct Expenses

13. Owners Capital

Capital Accounts → Owners Capital

14. Partner’s Capital

Capital Accounts → Partner’s Capital

15. GST Payable

Duties & Taxes → GST Payable

16. TDS Payable

Duties & Taxes → TDS Payable

17. Service Tax Payable

Duties & Taxes → Service Tax Payable

18. Suspense Account

Suspense Accounts

19. Bank Accounts

Bank Accounts → Bank Accounts

20. Cash-in-hand

Cash → Cash-in-hand

21. Rent

Expenses (Indirect) → Rent

22. Utilities

Expenses (Indirect) → Utilities

23. Insurance

Expenses (Indirect) → Insurance

24. Loans to Others

Loans & Advances → Loans to Others

25. Investment in Shares

Investment Accounts → Investment in Shares

26. Partner’s Drawings

Partner Accounts → Partner’s Drawings

27. Stock in Trade

Other Current Assets → Stock in Trade

28. Foreign Exchange Gains

Foreign Exchange → Foreign Exchange Gains


 

Tally Ledgers Information

1. Bank Accounts – इस ग्रुप को सभी सामान्य बैंक के खातो के लेजर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जैसे – PNB Bank A/c, SBI Bank A/c आदि।

2. Bank OCC A/c – इस ग्रुप का इस्तेमाल OCC (Open Credit Cash) बैंक अकाउंट से संबंधित लेजर बनाने के लिए किया जाता है। यानि ऐसे खाते जिन खातों मे 0 बैलन्स के बावजूद भी लेन-देन किया जा सकता है। जैसे – HDFC OCC A/c, SBI OCC A/c आदि।

3. Bank OD A/c – इस ग्रुप मे Bank Overdraft से संबंधित लेजर को क्रीऐट किया जाता है। बैंक ओवरड्राफ्ट किसी व्यवसाय के लिए एक बैंक अकाउंट होता है, जिसमे 0 बैलन्स होने पर भी एक लिमिट तक कैश निकाला जा सकता है। जैसे – HDFC Bank OD A/c, SBI Bank OD A/c व अन्य।

4, Branch/Divisions – यदि किसी कंपनी की एक से ज्यादा ब्रांच है और उन सभी ब्रांच का हिसाब किताब एक ही जगह रखा जाता है, तो उन सभी Branch/Divisions से संबन्धित लेजर को इस Group के अंदर क्रीऐट किया जाता है। जैसे – ABC Pvt. Ltd. Lucknow, ABC Pvt. Ltd. Kanpur, ABC Pvt. Ltd. Delhi आदि।

5. Capital Account – इस ग्रुप मे (पूंजी) से संबंधित लेजर को रखा जाता है। जैसे – Capital A/c, Harish Capital A/c आदि।

6. Cash-in-Hand – इस ग्रुप मे कैश से संबंधित लेजर को रखा जाता है, अगर कंपनी एक से अधिक कैश लेजर का इस्तेमाल करती है, जैसे – Cash A/c, Petty Cash A/c आदि।

7. Current Assets – इस ग्रुप मे ऐसी संपत्तियों के लेजर क्रीऐट किए जाते है, जो चालू संपत्तियों (Current Assets) से संबंधित हों। जैसे – Advance Payment, Bills Receivable, Prepaid Rent, Stock आदि।

8. Current Liabilities – इस ग्रुप मे ऐसे लेजर्स को शामिल किया जाता है, जिनको भुगतान करना है, जैसे – Tax Payable, Bills Payable, Salary Payable, Loan Payable आदि।  

9. Deposits (Asset) – व्यापार मे जब कोई संपत्ति लंबे समय के लिए डिपॉजिट की जाती है, तो ऐसी संपत्तियों से संबंधित लेजर्स को इस ग्रुप के अंडर क्रीऐट किया जाता है। जैसे – Godown Security Deposit, Telephone Security Deposit, Bond, Fixed Deposit आदि।

10. Direct Expenses – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal आदि।

11. Direct Incomes – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, ऐसी आय जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती है। जैसे- Income from Service Sales, Income form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।

12. Duties & Taxes –  इस ग्रुप मे सभी प्रकार के कर (Tax) से संबंधित लेजर्स को क्रीऐट किया जाता है। जैसे – IGST, CGST, SGST, TDS, VAT आदि।

13. Expenses (Direct) – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal आदि।

14. Expenses (Indirect) – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, वे खर्चे जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित होते हैं। जैसे – Staff Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges, Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।

15. Fixed Assets – इस ग्रुप मे व्यवसाय की सभी स्थायी संपत्तियों के लेजर्स बनाए जाते है, वे संपत्तियां जो व्यवसाय के संचालन मे सहायक होती हैं। जैसे – Building, Land, Computer, Furniture, Machinery, Tools आदि।

16. Income (Direct) – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, ऐसी आय (Income) जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती हो। जैसे – Income from Service Sales, Income form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।

17. Income (Indirect) – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, यानि ऐसी आय जिसका सीधा संबंध माल या सर्विस की बिक्री से नही होता है। जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।

18. Indirect Expenses – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, वे खर्चे जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित होते हैं। जैसे – Staff Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges, Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।

19. Indirect Incomes – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, यानि ऐसी आय जिसका सीधा संबंध माल या सर्विस की बिक्री से नही होता है। जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।

20. Investment – इस ग्रुप मे इनवेस्टमेंट से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। वे संपत्तियाँ जो लॉंग टर्म मे अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदी जाती हैं। जैसे- Shares, Properties, Mutual Fund, Stocks आदि।

21. Loan & Advances (Asset) – यदि व्यवसाय मे किसी को Advance Payment या Loan दिया गया है, तो ऐसे लेजर्स को इस ग्रुप के अंडर क्रीऐट करते है। जैसे – Loan Given to Friends or Relatives, Advance Payment to Employee or Party आदि।

22. Loans (Liability) – यदि व्यवसाय मे किसी से Advance Payment या Loan लिया है, तो ऐसे लेजर्स (खाता) को इस ग्रुप मे क्रीऐट करते है। जैसे – Bank Loan, Advance Taken from Party आदि।

23. Misc. Expenses (Asset) – इस ग्रुप मे उन खर्चों के लेजर्स क्रीऐट करते है, जिनका पेमेंट वर्षों के अनुपात मे एक मुश्त करना होता है। जैसे – Preliminary Expenses, Copyright Payment आदि।

24. Provisions – इस ग्रुप मे उन लेजर्स को क्रीऐट करते हैं, जो भविष्य मे होने वाले किसी नुकसान की आपूर्ति करने के लिए बनाए जाते हैं। जैसे – Provision for Bad Debts, Loss Recovery आदि।

25. Purchase Accounts – इस ग्रुप मे माल की खरीददारी व खरीदा माल वापसी से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। जैसे – Purchase A/c, Purchase Return A/c, Intra State Purchase A/c, Inter State Purchase A/cआदि।

26. Reserves & Surplus – व्यसाय को भविष्य मे बेहतर बनने के लिए जिन पूंजियों को रिजर्व करके रखा जाता है, उनसे संबंधित लेजर्स इस ग्रुप के अंतर्गत बनाए जाते हैं। जैसे – Generator Reserves, Machine Reserves, Another Branch Reserves आदि।

27. Retained Earnings – इस ग्रुप मे ऐसे लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं जो रिटेनेड अरनिंग से संबंधित होते हैं। जैसे – Future Need, Economic Help आदि। रिटेंड अर्निंग्स को हिंदी में अधिशेष लाभ या संचित लाभ भी कहा जाता है। यह कंपनी के कुल लाभ का वह हिस्सा होता है जिसे कंपनी अपने पास रखती है, बजाय इसे शेयरधारकों को लाभांश के रूप में बांटने के।

28. Sales Accounts – इस ग्रुप मे माल की बिक्री व बिका माल वापसी से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। जैसे – Sales A/c, Sales Return A/c, Intra State Sales A/c, Inter State Sales A/c आदि।

29. Secured Loans – इस ग्रुप मे सुरक्षित ऋण से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। ऐसे ऋण, जिनमे ऋण के बदले कोई संपत्ति गिरवी रखनी होती है। जैसे – Bank Loans, Finance Loan आदि।

30. Stock-in-Hand – इस ग्रुप मे Stock से संबन्धित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं। जैसे Opening Stock, Closing Stock, Consignment Stock आदि।

31. Sundry Creditors – जब किसी कंपनी या पार्टी से उधार माल (Goods) खरीदते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के लेजर्स इस ग्रुप के अंडर बनाए जाते हैं। जैसे – Mohan’s A/c, Verma Industries, Varuna Pvt. Ltd. आदि।

32. Sundry Debtors – जब किसी कंपनी या पार्टी को उधार माल (Goods) बेचते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के लेजर्स इस ग्रुप के अंडर बनाए जाते हैं। जैसे – Ahuja’s A/c, Malik & Sons Co., Varuna Pvt. Ltd. आदि।

33. Suspense Account – इस ग्रुप के अंतर्गत किसी लेन-देन मे हुई भूल-चूक को याद रखने के लिए लेजर्स बनाए जाते हैं।

34. Unsecured Loans – जब व्यवसाय मे किसी दोस्त या रिस्तेदार से बिना कोई संपत्ति गिरवी रखे लोन लिया जाता है, तो ऐसे लोन से संबंधित लेजर्स को इस ग्रुप मे क्रीऐट करते है। जैसे – Loan from Vijay, Loan from Akash आदि।

 

 

 


 

 

टैली प्राइम की विशेषताएँ (Features of Tally Prime)

टैली प्राइम एक उन्नत बिजनेस अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर है, जो छोटे और बड़े व्यवसायों के लिए कई सुविधाएँ प्रदान करता है:
सरल और उपयोग में आसान इंटरफ़ेसनेविगेशन आसान और यूजर-फ्रेंडली है।
एकाधिक कंपनियों का प्रबंधनएक ही सिस्टम पर कई कंपनियों के अकाउंट्स मैनेज कर सकते हैं।
GST और टैक्सेशन सपोर्टऑटोमेटेड GST कैलकुलेशन और रिपोर्टिंग।
बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजैक्शंसबैंक स्टेटमेंट मिलान और ऑनलाइन पेमेंट सपोर्ट।
इन्वेंटरी और स्टॉक मैनेजमेंटस्टॉक रिपोर्टिंग, गॉडाउन मैनेजमेंट, और बैच-वार ट्रैकिंग।
पेरोल मैनेजमेंटकर्मचारियों की सैलरी, PF, ESI और अन्य बेनिफिट्स को मैनेज करने की सुविधा।
डेटा सिक्योरिटी और बैकअपपासवर्ड प्रोटेक्शन और ऑटो बैकअप सिस्टम।
रियल-टाइम बिजनेस रिपोर्टिंगबैलेंस शीट, P&L, कैश फ्लो और अन्य रिपोर्टिंग फीचर।


टैली ERP 9 और टैली प्राइम में अंतर (Difference between Tally ERP 9 & Tally Prime)

अंतर के बिंदु

Tally ERP 9

Tally Prime

यूजर इंटरफ़ेस

पारंपरिक इंटरफ़ेस, जटिल नेविगेशन

सिंपल और आसान इंटरफ़ेस, माउस व कीबोर्ड दोनों से ऑपरेट कर सकते हैं

नेविगेशन

कीबोर्ड-आधारित शॉर्टकट्स

आसान सर्च बार और बेहतर नेविगेशन

रिपोर्टिंग

अलग-अलग रिपोर्ट्स देखने के लिए कई स्टेप्स

एक ही विंडो में सभी रिपोर्ट्स आसानी से एक्सेस

मल्टी-टास्किंग

एक समय में सिर्फ एक ही स्क्रीन पर काम कर सकते हैं

मल्टी-टास्किंग सपोर्ट, बिना डेटा खोए अलग-अलग स्क्रीन पर काम कर सकते हैं

GST कार्यक्षमता

बेसिक GST रिपोर्टिंग

एडवांस GST रेकंसीलिएशन और रिपोर्टिंग फीचर्स

इंस्टॉलेशन और सेटअप

मैन्युअल सेटअप और कॉन्फ़िगरेशन की जरूरत

आसान इंस्टॉलेशन और कॉन्फ़िगरेशन

बैकअप और डेटा सिक्योरिटी

मैन्युअल बैकअप प्रक्रिया

ऑटोमेटेड बैकअप और डेटा रिकवरी ऑप्शन


टैली प्राइम को इंस्टॉल और सेटअप करना (Installing & Setting Up Tally Prime)

टैली प्राइम डाउनलोड करें

  1. टैली सॉल्यूशंस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  2. "Tally Prime" का नवीनतम वर्जन डाउनलोड करें।

इंस्टॉलेशन प्रोसेस

  1. डाउनलोड की गई फ़ाइल को डबल-क्लिक करके खोलें।
  2. "Install" बटन पर क्लिक करें।
  3. इंस्टॉलेशन पूरा होने के बाद "Done" पर क्लिक करें।

लाइसेंस एक्टिवेशन

  1. टैली प्राइम खोलें और "Activate License" ऑप्शन चुनें।
  2. टैली सॉल्यूशंस से प्राप्त Serial Number और Activation Key दर्ज करें।
  3. "Submit" पर क्लिक करें और आपका टैली प्राइम सक्रिय हो जाएगा।

कंपनी सेटअप

  1. "Create Company" ऑप्शन चुनें।
  2. कंपनी का नाम, पता, वित्तीय वर्ष और अन्य आवश्यक विवरण भरें।
  3. GST विवरण (यदि लागू हो) दर्ज करें।
  4. "Accept" बटन दबाएं और कंपनी सेटअप पूरा करें।

इंटरफ़ेस और नेविगेशन (Interface & Navigation in Tally Prime)

मुख्य स्क्रीन (Gateway of Tally)

  • टॉप मेनू बारविभिन्न फ़ंक्शंस जैसे कंपनी सेलेक्शन, रिपोर्ट्स, और हेल्प।
  • लेफ्ट साइड बारकंपनी इन्फ़ॉर्मेशन और महत्वपूर्ण ऑप्शन।
  • मेन स्क्रीन अकाउंटिंग, इन्वेंटरी, GST, बैंकिंग आदि का एक्सेस।

नेविगेशन सुधार

  • सर्च बारकिसी भी रिपोर्ट, वाउचर, या फ़ंक्शन को तुरंत खोज सकते हैं।
  • कीबोर्ड और माउस सपोर्टपूरी तरह कीबोर्ड शॉर्टकट्स और माउस नेविगेशन सपोर्ट।
  • गो-टू फ़ीचरकिसी भी स्क्रीन से सीधे वांछित सेक्शन पर जाने की सुविधा।

 

2. कंपनी निर्माण और प्रबंधन (Company Creation & Management in Tally Prime)

टैली प्राइम में कंपनी बनाना और उसका प्रबंधन करना किसी भी व्यवसाय के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम होता है। इसमें नई कंपनी बनाना, मौजूदा कंपनी में बदलाव करना, सिक्योरिटी सेट करना और मल्टी-कंपनी मैनेजमेंट जैसे फीचर्स शामिल हैं।


1. कंपनी बनाना, बदलना और हटाना (Company Creation, Alteration & Deletion)

(A) कंपनी बनाना (Creating a Company in Tally Prime)

कंपनी बनाने के लिए स्टेप्स:

  1. टैली प्राइम खोलें और "Create Company" ऑप्शन चुनें।
  2. निम्नलिखित जानकारी दर्ज करें:

o    कंपनी का नाम (Company Name)

o    पता, संपर्क विवरण (Address, Contact Details)

o    देश और राज्य (Country & State)

o    वित्तीय वर्ष की शुरुआत (Financial Year Beginning)

o    बुक्स की शुरुआत की तारीख (Books Beginning Date)

  1. यदि आपकी कंपनी GST, TDS या अन्य टैक्सेशन सिस्टम के अंतर्गत आती है, तो उन्हें सक्षम करें।
  2. Ctrl + A दबाकर विवरण सेव करें।

(B) कंपनी बदलना (Altering a Company in Tally Prime)

कंपनी में बदलाव करने के लिए स्टेप्स:

  1. Gateway of Tally पर जाएं और Alt + K दबाएं।
  2. "Alter" ऑप्शन चुनें।
  3. जिस कंपनी में बदलाव करना है, उसे चुनें।
  4. आवश्यक परिवर्तन करें (जैसे कंपनी नाम, पता, टैक्स डिटेल्स आदि)।
  5. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

(C) कंपनी हटाना (Deleting a Company in Tally Prime)

कंपनी हटाने के लिए स्टेप्स:

  1. Gateway of Tally में जाएं और Alt + F3 दबाएं।
  2. "Select Company" में जाकर जिस कंपनी को हटाना है, उसे चुनें।
  3. Alt + D दबाएं (Delete Command)
  4. कन्फर्मेशन के लिए "Yes" दबाएं।
    📌 नोट: एक बार कंपनी हटाने के बाद, उसे पुनः रिकवर नहीं किया जा सकता, इसलिए पहले बैकअप लेना जरूरी है।

2. सिक्योरिटी कंट्रोल और यूजर मैनेजमेंट (Security Control & User Management in Tally Prime)

बड़ी कंपनियों में कई उपयोगकर्ता (Users) होते हैं, जिनके लिए अलग-अलग एक्सेस लेवल सेट करना जरूरी होता है। टैली प्राइम में सिक्योरिटी कंट्रोल और यूजर मैनेजमेंट सेफ और ऑर्गनाइज़्ड डेटा मैनेजमेंट में मदद करता है।

(A) सिक्योरिटी कंट्रोल सेट करना (Setting Up Security Control)

सिक्योरिटी कंट्रोल इनेबल करने के लिए:

  1. Alt + K दबाएं और "Company" → "Alter" चुनें।
  2. "Security Control" को Enable करें।
  3. "Admin Username" और "Password" सेट करें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

(B) नया यूजर बनाना (Creating Users & Assigning Roles)

यूजर बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Company" → "Users & Passwords" पर जाएं।
  2. "Create User" ऑप्शन चुनें।
  3. नया यूजरनेम और पासवर्ड सेट करें।
  4. यूजर को रोल असाइन करें (Admin, Data Entry, Accounts आदि)।
  5. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

यूजर टाइप

विशेषाधिकार (Privileges)

Owner (Admin)

सभी एक्सेस, कंपनी सेटिंग्स बदल सकते हैं।

Accountant

अकाउंटिंग वाउचर एंट्री कर सकता है।

Data Entry Operator

सिर्फ डेटा एंट्री कर सकता है, रिपोर्ट्स नहीं देख सकता।

Inventory Manager

स्टॉक और इन्वेंटरी से जुड़ी रिपोर्ट्स देख सकता है।

📌 टिप: हर यूजर को आवश्यकतानुसार एक्सेस देना चाहिए ताकि डेटा सुरक्षित रहे।


3. मल्टीपल कंपनी मैनेजमेंट (Managing Multiple Companies in Tally Prime)

टैली प्राइम एक से अधिक कंपनियों को एक ही सिस्टम पर मैनेज करने की सुविधा देता है।

(A) मल्टी-कंपनी फीचर एक्टिवेट करना

मल्टी-कंपनी मैनेज करने के लिए:

  1. Gateway of Tally में जाएं और Alt + F3 दबाएं।
  2. "Create Company" ऑप्शन चुनें और दूसरी कंपनी बनाएं।
  3. सभी कंपनियों को "Select Company" में जाकर लोड करें।
  4. एक से अधिक कंपनियों को Alt + F1 दबाकर एक साथ देख सकते हैं।

(B) इंटर-कंपनी ट्रांजैक्शंस (Inter-Company Transactions in Tally Prime)

यदि आपके पास एक से अधिक कंपनियाँ हैं और वे एक-दूसरे के साथ लेन-देन करती हैं, तो इंटर-कंपनी ट्रांजैक्शन की सुविधा का उपयोग किया जा सकता है।

इंटर-कंपनी ट्रांजैक्शन सक्षम करने के लिए:

  1. "Features" → "F11" में जाएं।
  2. "Use Common Ledger for Multiple Companies" को Yes करें।
  3. अब दोनों कंपनियों में एक ही लेजर से एंट्री कर सकते हैं।

(C) मल्टी-कंपनी रिपोर्टिंग (Generating Multi-Company Reports)

मल्टी-कंपनी रिपोर्ट निकालने के लिए:

  1. "Display More Reports" → "Multi-Company Reports" में जाएं।
  2. आप बैलेंस शीट, P&L, स्टॉक समरी जैसी रिपोर्ट्स सभी कंपनियों की एक साथ देख सकते हैं।
  3. Excel या PDF में Export कर सकते हैं।

 

3. अकाउंटिंग बेसिक्स (Accounting Basics in Tally Prime)

अकाउंटिंग बेसिक्स समझना किसी भी व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण है। टैली प्राइम में अकाउंटिंग से जुड़ी सभी एंट्रीज़ और रिपोर्ट्स को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। इसमें ग्रुप्स और लेजर बनाना, वाउचर एंट्री, बैंक रीकंसीलिएशन और डेबिट/क्रेडिट नोट जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।


1. अकाउंटिंग ग्रुप्स और लेजर क्रिएशन (Accounting Groups & Ledger Creation)

टैली प्राइम में अकाउंट्स को व्यवस्थित रखने के लिए ग्रुप्स और लेजर्स बनाए जाते हैं।

(A) अकाउंटिंग ग्रुप्स (Accounting Groups in Tally Prime)

टैली में पहले से 28 प्री-डिफाइंड ग्रुप्स होते हैं, जिन्हें दो भागों में बांटा गया है:

  1. प्राइमरी ग्रुप्स (Primary Groups)जैसे कि Assets, Liabilities, Income, Expenses
  2. सेकेंडरी ग्रुप्स (Secondary Groups)जैसे कि Sundry Debtors, Sundry Creditors, Bank Accounts, Direct Expenses आदि।

नए ग्रुप बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounts Info" → "Groups" → "Create" पर जाएं।
  2. ग्रुप का नाम डालें (जैसे "Loan Account")
  3. इसे किसी प्राइमरी ग्रुप (जैसे "Liabilities") के अंतर्गत रखें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

(B) लेजर क्रिएशन (Ledger Creation in Tally Prime)

लेजर किसी भी अकाउंटिंग सिस्टम की मूल इकाई होता है।

नया लेजर बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounts Info" → "Ledgers" → "Create" पर जाएं।
  2. लेजर का नाम डालें (जैसे कि "HDFC Bank")
  3. इसे संबंधित ग्रुप में रखें (जैसे "Bank Accounts")
  4. यदि यह GST से संबंधित है, तो GST डिटेल्स जोड़ें।
  5. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 टिप:

  • ग्राहकों (Customers) के लिए Sundry Debtors के अंतर्गत लेजर बनाएं।
  • सप्लायर्स (Suppliers) के लिए Sundry Creditors के अंतर्गत लेजर बनाएं।
  • बैंक अकाउंट के लिए Bank Accounts ग्रुप का उपयोग करें।

2. वाउचर एंट्री (Voucher Entry in Tally Prime)

टैली प्राइम में विभिन्न प्रकार की वाउचर एंट्री की जाती हैं:

(A) पर्चेज वाउचर (Purchase Voucher - F9)

पर्चेज एंट्री करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounting Vouchers" → "F9: Purchase" दबाएं।
  2. सप्लायर का नाम चुनें।
  3. माल की डिटेल्स और जीएसटी विवरण भरें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

(B) सेल्स वाउचर (Sales Voucher - F8)

सेल्स एंट्री करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounting Vouchers" → "F8: Sales" दबाएं।
  2. ग्राहक (Customer) का नाम चुनें।
  3. माल की डिटेल्स और जीएसटी विवरण जोड़ें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

(C) पेमेंट वाउचर (Payment Voucher - F5)

पेमेंट एंट्री करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounting Vouchers" → "F5: Payment" दबाएं।
  2. जिस बैंक या कैश से भुगतान हुआ, वह अकाउंट चुनें।
  3. जिस पार्टी या व्यक्ति को पेमेंट किया गया, उसका नाम डालें।
  4. राशि दर्ज करें और सेव करें।

(D) रिसीट वाउचर (Receipt Voucher - F6)

रिसीट एंट्री करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounting Vouchers" → "F6: Receipt" दबाएं।
  2. प्राप्तकर्ता का नाम और अकाउंट सिलेक्ट करें।
  3. रिसीव की गई राशि और मोड (कैश/बैंक) डालें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

(E) जर्नल वाउचर (Journal Voucher - F7)

जर्नल एंट्री करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounting Vouchers" → "F7: Journal" दबाएं।
  2. संबंधित खातों का चयन करें।
  3. डेबिट और क्रेडिट राशि डालें।
  4. विवरण जोड़ें और सेव करें।

📌 टिप:

  • GST ट्रांजैक्शंस के लिए "Purchase" और "Sales" वाउचर का उपयोग करें।
  • बैंक ट्रांसफर या बैलेंस समायोजन के लिए "Journal Voucher" उपयोग करें।

3. बैंक रीकंसीलिएशन (Bank Reconciliation in Tally Prime)

बैंक रीकंसीलिएशन करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Banking" → "Bank Reconciliation" पर जाएं।
  2. जिस बैंक का स्टेटमेंट मिलाना है, उसे चुनें।
  3. बैंक स्टेटमेंट से प्राप्त तिथियों को टैली में दर्ज करें।
  4. मिलान हो जाने पर Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 टिप:

  • इससे चेक क्लियरेंस और गलत एंट्री का पता लगाया जा सकता है।
  • यह कैश फ्लो मैनेजमेंट में मदद करता है।

4. क्रेडिट और डेबिट नोट (Credit & Debit Notes in Tally Prime)

क्रेडिट नोट (Credit Note - Ctrl + F8):

  • जब कोई ग्राहक हमें माल वापस करता है तो क्रेडिट नोट जारी किया जाता है।
  • यह सेल्स रिटर्न को दर्शाता है।

क्रेडिट नोट बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounting Vouchers" → "Ctrl + F8: Credit Note" दबाएं।
  2. ग्राहक का नाम चुनें।
  3. लौटाए गए माल की जानकारी भरें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

डेबिट नोट (Debit Note - Ctrl + F9):

  • जब हम किसी सप्लायर को माल वापस करते हैं, तो डेबिट नोट जारी किया जाता है।
  • यह पर्चेज रिटर्न को दर्शाता है।

डेबिट नोट बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Accounting Vouchers" → "Ctrl + F9: Debit Note" दबाएं।
  2. सप्लायर का नाम चुनें।
  3. लौटाए गए माल की जानकारी भरें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

4. इन्वेंटरी मैनेजमेंट (Inventory Management in Tally Prime)

इन्वेंटरी मैनेजमेंट किसी भी बिजनेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर जब वह प्रोडक्ट्स बेचने या स्टोर करने से जुड़ा हो। टैली प्राइम में स्टॉक आइटम्स, स्टॉक ग्रुप्स, यूनिट्स, गोदाम, बैच-वाइज डिटेल्स, स्टॉक जर्नल और बिल ऑफ मटेरियल (BOM) जैसी सुविधाएँ होती हैं, जो इन्वेंटरी को प्रभावी रूप से मैनेज करने में मदद करती हैं।


1. स्टॉक ग्रुप्स, स्टॉक आइटम्स और स्टॉक यूनिट्स (Stock Groups, Stock Items & Stock Units)

(A) स्टॉक ग्रुप्स (Stock Groups in Tally Prime)

स्टॉक ग्रुप्स का उपयोग स्टॉक आइटम्स को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है, जिससे रिपोर्टिंग और प्राइसिंग आसान हो जाती है।

स्टॉक ग्रुप बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Info" → "Stock Groups" → "Create" पर जाएं।
  2. ग्रुप का नाम डालें (जैसे "Electronics")
  3. यदि इसे किसी अन्य ग्रुप के अंदर रखना हो, तो "Under Group" चुनें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 उदाहरण:

स्टॉक ग्रुप

स्टॉक आइटम्स

Electronics

Mobile, Laptop

Furniture

Table, Chair


(B) स्टॉक आइटम्स (Stock Items in Tally Prime)

स्टॉक आइटम्स वे प्रोडक्ट्स होते हैं, जो खरीदे या बेचे जाते हैं।

स्टॉक आइटम बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Info" → "Stock Items" → "Create" पर जाएं।
  2. आइटम का नाम डालें (जैसे "Samsung Mobile")
  3. इसे किसी स्टॉक ग्रुप के अंतर्गत रखें।
  4. यूनिट (PCS, KG, LTR) और प्राइसिंग डिटेल्स दर्ज करें।
  5. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 टिप:

  • यदि GST लागू है, तो "GST Details" भी जोड़ें।
  • अलग-अलग प्रोडक्ट्स को सही ग्रुप में रखना रिपोर्टिंग को आसान बनाता है।

(C) स्टॉक यूनिट्स (Stock Units in Tally Prime)

स्टॉक यूनिट्स को मापने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे PCS (Pieces), KG (Kilograms), LTR (Liters), Dozen, Box आदि।

स्टॉक यूनिट बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Info" → "Units of Measure" → "Create" पर जाएं।
  2. यूनिट का नाम (जैसे PCS, KG) डालें।
  3. टाइप चुनें: Simple (एकल माप) या Compound (दो यूनिट्स का कॉम्बिनेशन, जैसे Dozen & Pieces)
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 उदाहरण:

  • 1 Dozen = 12 PCS (Compound Unit)
  • Oil = 1 LTR (Simple Unit)

2. गोदाम (Godown) और बैच-वाइज डिटेल्स (Godown & Batch-Wise Details)

(A) गोदाम (Godown in Tally Prime)

यदि किसी बिजनेस में एक से अधिक स्टोरेज लोकेशन हैं, तो "Godown" फीचर का उपयोग किया जाता है।

गोदाम बनाने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Info" → "Godowns" → "Create" पर जाएं।
  2. गोदाम का नाम डालें (जैसे "Main Warehouse")
  3. यदि यह किसी अन्य गोदाम के अंदर है, तो "Under" में चयन करें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 उदाहरण:

गोदाम का नाम

स्थान (Location)

Main Warehouse

Delhi

Sub Warehouse

Mumbai


(B) बैच-वाइज डिटेल्स (Batch-Wise Details in Tally Prime)

बैच-वाइज इन्वेंटरी का उपयोग उन प्रोडक्ट्स के लिए किया जाता है, जिनकी एक्सपायरी डेट होती है (जैसे मेडिसिन, FMCG, फूड आइटम्स)।

बैच एनेबल करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Features (F11)" पर जाएं।
  2. "Enable Batch-wise Details" को Yes करें।
  3. बैच नंबर और एक्सपायरी डेट जोड़ें।

📌 उदाहरण:

बैच नंबर

उत्पाद का नाम

एक्सपायरी डेट

B1234

Paracetamol

30-12-2025

B5678

Cold Syrup

15-06-2026


3. स्टॉक जर्नल और मटेरियल ट्रांसफर (Stock Journal & Material Transfer)

(A) स्टॉक जर्नल (Stock Journal in Tally Prime)

स्टॉक जर्नल का उपयोग तब किया जाता है, जब स्टॉक को एडजस्ट या कन्वर्ट करना हो।

स्टॉक जर्नल एंट्री करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Vouchers" → "Alt + F7: Stock Journal" दबाएं।
  2. जिस आइटम को ट्रांसफर करना है, उसे चुनें।
  3. नए स्टॉक में बदलाव करें और सेव करें।

📌 उदाहरण:

  • Raw Material → Finished Goods
  • Loose Items → Packed Items

(B) मटेरियल ट्रांसफर (Material Transfer in Tally Prime)

यदि किसी कंपनी के पास एक से अधिक गोदाम हैं, तो यह फीचर उपयोगी है।

मटेरियल ट्रांसफर करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Vouchers" → "Alt + F7: Stock Journal" दबाएं।
  2. "Source Godown" और "Destination Godown" चुनें।
  3. स्टॉक आइटम और उसकी मात्रा डालें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 उदाहरण:

Source Godown

Destination Godown

स्टॉक आइटम

Delhi Warehouse

Mumbai Warehouse

Laptops (10 PCS)


4. बिल ऑफ मटेरियल (BOM - Bill of Material in Tally Prime)

बिल ऑफ मटेरियल (BOM) का उपयोग उन प्रोडक्ट्स के लिए किया जाता है, जिन्हें मल्टीपल कंपोनेंट्स से असेंबल करना होता है।

BOM सेट करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Inventory Info" → "Stock Items" → "Create" पर जाएं।
  2. "Set Component List (BOM)" को Yes करें।
  3. मुख्य आइटम के लिए आवश्यक Raw Materials जोड़ें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 उदाहरण:

फाइनल प्रोडक्ट

कच्चा माल (Raw Material)

Table

Wood + Nails

Mobile Phone

Screen + Battery + Chipset

 

5. जीएसटी (GST) और टैक्सेशन (Taxation in Tally Prime)

टैली प्राइम GST और अन्य टैक्सेशन को मैनेज करने के लिए एक शक्तिशाली टूल है। इसमें GST एक्टिवेशन, इनपुट और आउटपुट टैक्स क्रेडिट, GST रिपोर्ट्स और रिटर्न फाइलिंग, TDS और TCS जैसे महत्वपूर्ण फीचर्स उपलब्ध हैं।


1. जीएसटी एक्टिवेशन और कॉन्फ़िगरेशन (GST Activation & Configuration in Tally Prime)

जीएसटी (Goods & Services Tax) को टैली प्राइम में एक्टिव करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करें:

GST को इनेबल करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "F11: Features" → "GST" पर जाएं।
  2. "Enable Goods and Services Tax (GST)" को Yes करें।
  3. GST नंबर (GSTIN), रजिस्ट्रेशन टाइप (Regular, Composition, Unregistered) और स्टेट सेलेक्ट करें।
  4. टैक्स टाइप्स (CGST, SGST, IGST) को Define करें।
  5. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 टिप्स:

  • यदि Multi-GST Locations हैं, तो "Enable GST for Multiple Locations" को Yes करें।
  • Composition Dealers के लिए "Enable Composition Scheme" को Yes करें।

2. इनपुट टैक्स क्रेडिट और आउटपुट जीएसटी (Input Tax Credit & Output GST in Tally Prime)

(A) इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC - Input Tax Credit)

इनपुट टैक्स क्रेडिट वह टैक्स होता है, जो पर्चेज पर चुकाया जाता है और जिसे आउटपुट टैक्स से एडजस्ट किया जा सकता है।

इनपुट GST को मैनेज करने के लिए:

  1. पर्चेज वाउचर (F9) में "GST Ledger" जोड़ें।
  2. सही टैक्स स्लैब चुनें (5%, 12%, 18%, 28%)
  3. GST का इनपुट टैली प्राइम में ऑटोमैटिक एडजस्ट हो जाता है।

📌 उदाहरण:

पर्चेज वैल्यू

GST (18%)

कुल वैल्यू

₹10,000

₹1,800

₹11,800


(B) आउटपुट जीएसटी (Output GST in Tally Prime)

आउटपुट GST वह टैक्स होता है, जो सेल्स पर कलेक्ट किया जाता है और सरकार को जमा किया जाता है।

आउटपुट GST को मैनेज करने के लिए:

  1. सेल्स वाउचर (F8) में "GST Ledger" जोड़ें।
  2. CGST+SGST (इंट्रा-स्टेट) या IGST (इंटर-स्टेट) लागू करें।
  3. टैली ऑटोमैटिक इनपुट टैक्स और आउटपुट टैक्स का मिलान करता है।

📌 उदाहरण:

सेल्स वैल्यू

GST (18%)

कुल वैल्यू

₹20,000

₹3,600

₹23,600

Net Payable GST = Output GST - Input GST

📌 Example Calculation:
Output GST: ₹3,600
Input GST: ₹1,800
👉 Net GST Payable = ₹3,600 - ₹1,800 = ₹1,800


3. जीएसटी रिपोर्ट्स और रिटर्न फाइलिंग (GST Reports & Return Filing in Tally Prime)

(A) जीएसटी रिपोर्ट्स (GST Reports in Tally Prime)

GST रिपोर्ट देखने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Display" → "Statutory Reports" → "GST Reports" पर जाएं।
  2. यहाँ से GSTR-1, GSTR-3B, GSTR-2A आदि देखें।
  3. रिपोर्ट में मैन्युअल एडिटिंग की जरूरत हो, तो एडिट करें।

📌 मुख्य GST रिपोर्ट्स:

  • GSTR-1: सेल्स से जुड़ी डिटेल्स (महीने के अंत में फाइल की जाती है)।
  • GSTR-3B: GST का मासिक सारांश (टैक्स पेमेंट और इनपुट टैक्स क्रेडिट)।
  • GSTR-2A: पर्चेज से जुड़ी डिटेल्स (सप्लायर द्वारा फाइल की जाती है)।

(B) जीएसटी रिटर्न फाइलिंग (GST Return Filing in Tally Prime)

GST रिटर्न भरने के लिए:

  1. GST रिपोर्ट्स खोलें और डेटा को वेरीफाई करें।
  2. "Export" ऑप्शन का उपयोग करके JSON या Excel फाइल डाउनलोड करें।
  3. GST पोर्टल (https://www.gst.gov.in/) पर लॉगिन करें।
  4. JSON फाइल को अपलोड करें और रिटर्न फाइल करें।

📌 टिप्स:

  • सही GST रेट और HSN/SAC कोड डालना जरूरी है।
  • ट्रांसपोर्टर डिटेल्स और ई-वे बिल की भी एंट्री करें।

4. टीडीएस (TDS) और टीसीएस (TCS) (Tax Deducted & Collected at Source in Tally Prime)

(A) टीडीएस (TDS - Tax Deducted at Source)

TDS सरकार द्वारा लगाया गया स्रोत पर कर कटौती (Tax Deduction at Source) है।

TDS सेटअप करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "F11: Features" → "TDS" को Yes करें।
  2. "TDS Deductee Type" चुनें (Company, Individual)
  3. TDS % सेट करें (जैसे प्रोफेशनल फीस पर 10%)

📌 TDS रेट्स:

Nature of Payment

TDS Rate

प्रोफेशनल सर्विस

10%

ठेकेदार भुगतान

1-2%

किराया (₹50,000 से अधिक)

10%

TDS वाउचर एंट्री:

  1. Payment Voucher (F5) में "TDS Ledger" जोड़ें।
  2. सही "TDS Category" चुनें और Ctrl + A से सेव करें।

(B) टीसीएस (TCS - Tax Collected at Source)

TCS वह टैक्स होता है, जो कुछ विशेष वस्तुओं की बिक्री पर कलेक्ट किया जाता है।

TCS सेटअप करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "F11: Features" → "TCS" को Yes करें।
  2. "TCS Ledger" क्रिएट करें और टैक्स % सेट करें।

📌 TCS रेट्स:

प्रोडक्ट/सेवा

TCS दर

स्क्रैप

1%

लक्ज़री कारें

1%

कोयला, लोहा

1%

TCS एंट्री करने के लिए:

  1. Sales Voucher (F8) में "TCS Ledger" जोड़ें।
  2. TCS % सही तरीके से लागू करें।

🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

Tally Prime में GST, TDS और TCS को मैनेज करना आसान है।
GST Reports से रिटर्न फाइलिंग जल्दी की जा सकती है।
Input और Output GST का सही मिलान जरूरी है।
TDS/TCS से टैक्सेशन के नियमों का पालन आसान होता है।

📌 क्या आपको किसी विशेष टॉपिक पर और जानकारी चाहिए? 😊

 

6. पेरोल मैनेजमेंट (Payroll Management in Tally Prime)

पेरोल मैनेजमेंट एक महत्वपूर्ण फीचर है, जिससे हम एम्प्लॉयी की सैलरी, पीएफ (PF), ईएसआई (ESI), बोनस, और अन्य वेतन घटकों को आसानी से मैनेज कर सकते हैं।


1. एम्प्लॉयी क्रिएशन और सैलरी प्रोसेसिंग (Employee Creation & Salary Processing in Tally Prime)

(A) पेरोल को इनेबल (Enable Payroll) करना

पेरोल फीचर को चालू करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "F11: Features" → "Payroll" को Yes करें।
  2. "Maintain Payroll" को Yes करें और "More Details" भी Yes करें।
  3. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

(B) एम्प्लॉयी मास्टर क्रिएशन (Employee Master Creation)

एम्प्लॉयी जोड़ने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Payroll Info" → "Employees" → "Create" पर जाएं।
  2. एम्प्लॉयी का नाम, डिज़िग्नेशन (पद), डेट ऑफ जॉइनिंग, आदि दर्ज करें।
  3. एम्प्लॉयी को किसी ग्रुप में असाइन करें (Staff, Workers, Managerial Staff, आदि)।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 उदाहरण:

फील्ड

डेटा

नाम

अजय शर्मा

पद

अकाउंटेंट

जॉइनिंग डेट

01-Apr-2024

ग्रुप

ऑफिस स्टाफ


(C) सैलरी स्ट्रक्चर सेटअप (Salary Structure Setup in Tally Prime)

सैलरी कंपोनेंट्स सेट करने के लिए:

  1. Payroll Info → "Pay Heads" → "Create" पर जाएं।
  2. सैलरी घटकों (Basic Pay, HRA, Allowances, Deductions) को डिफाइन करें।
  3. Calculation Type चुनें (फिक्स्ड या प्रतिशत आधारित)।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 महत्वपूर्ण सैलरी घटक (Salary Components):

Pay Head

Type

Calculation

बेसिक सैलरी

कमाई (Earnings)

फिक्स्ड

HRA (House Rent Allowance)

कमाई

बेसिक का 40%

ट्रैवल अलाउंस

कमाई

₹1,500 प्रति माह

प्रोविडेंट फंड (PF)

कटौती (Deduction)

बेसिक का 12%

प्रोफेशनल टैक्स

कटौती

₹200


(D) सैलरी प्रोसेसिंग (Salary Processing in Tally Prime)

एम्प्लॉयी को सैलरी देने के लिए:

  1. Payroll Voucher (Ctrl + F4) ओपन करें।
  2. "Salary Process" ऑप्शन चुनें।
  3. सभी एम्प्लॉयी की सैलरी कंपोनेंट्स जोड़ें।
  4. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 उदाहरण:

एम्प्लॉयी नाम

बेसिक सैलरी

HRA

अलाउंस

PF कटौती

नेट पे (Net Pay)

अजय शर्मा

₹25,000

₹10,000

₹2,000

₹3,000

₹34,000


2. पीएफ (PF) और ईएसआई (ESI) (Provident Fund & Employee State Insurance in Tally Prime)

(A) पीएफ (Provident Fund - PF) सेटअप

PF सेट करने के लिए:

  1. Payroll Info → "Pay Heads" → "Create" पर जाएं।
  2. Name: Provident Fund (PF)
  3. Under: Deductions from Employees
  4. Calculation Type: "On Attendance" या "On Percentage"
  5. Percentage: बेसिक सैलरी का 12%
  6. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 PF Calculation Example:

  • बेसिक सैलरी = ₹25,000
  • PF कटौती = 12% × ₹25,000 = ₹3,000

(B) ईएसआई (ESI - Employee State Insurance) सेटअप

ESI सेट करने के लिए:

  1. Payroll Info → "Pay Heads" → "Create" पर जाएं।
  2. Name: ESI
  3. Under: Deductions from Employees
  4. Calculation Type: "On Percentage"
  5. Percentage: बेसिक + अलाउंस का 0.75%
  6. Ctrl + A दबाकर सेव करें।

📌 ESI Calculation Example:

  • ग्रॉस सैलरी = ₹20,000
  • ESI कटौती = 0.75% × ₹20,000 = ₹150

3. पेरोल रिपोर्टिंग (Payroll Reports in Tally Prime)

पेरोल रिपोर्ट्स देखने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Display" → "Payroll Reports" पर जाएं।
  2. रिपोर्ट्स:
    • Payroll Statements (सैलरी रिपोर्ट)
    • Pay Slip (वेतन पर्ची)
    • Attendance Reports (हाज़िरी रिपोर्ट)
    • PF और ESI Reports

📌 सैलरी स्लिप का उदाहरण:

फील्ड

विवरण

कर्मचारी का नाम

अजय शर्मा

पद

अकाउंटेंट

बेसिक सैलरी

₹25,000

HRA

₹10,000

अलाउंस

₹2,000

PF कटौती

₹3,000

नेट सैलरी

₹34,000

Pay Slip को प्रिंट या PDF में सेव कर सकते हैं।


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

Tally Prime में पेरोल मैनेजमेंट करने से सैलरी प्रोसेसिंग, PF/ESI कटौती और रिपोर्टिंग आसान हो जाती है।
Employee Salary Structure को Customize कर सकते हैं।
PF और ESI ऑटोमेटिक Calculate हो सकते हैं।
Payroll Reports से सैलरी डिटेल्स को अच्छे से एनालाइज कर सकते हैं।

📌 क्या आपको किसी विशेष टॉपिक पर और जानकारी चाहिए? 😊

 

7. बैंकिंग और ऑडिटिंग (Banking & Auditing in Tally Prime)

बैंकिंग और ऑडिटिंग फीचर्स का उपयोग बैंक ट्रांजैक्शन्स, चेक मैनेजमेंट, डिजिटल पेमेंट्स, और वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच के लिए किया जाता है। टैली प्राइम में इन सभी प्रक्रियाओं को आसानी से मैनेज किया जा सकता है।


1. चेक मैनेजमेंट और बैंकिंग फीचर्स (Cheque Management & Banking Features in Tally Prime)

(A) चेक मैनेजमेंट (Cheque Management in Tally Prime)

चेक को मैनेज करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Banking" → "Cheque Management" पर जाएं।
  2. Cheque Type (Payment, Receipt, etc.) को चुनें।
  3. Cheque Number और Bank Details भरें।
  4. Cheque Issue/Receipt को सही तरीके से अपडेट करें।
  5. चेक के स्टेटस को "Issued", "Realized" या "Cancelled" के रूप में ट्रैक करें।

📌 चेक प्रॉसेसिंग के स्टेप्स:

  • Payment/Receiptचेक को पेमेंट/रिसीव करने के लिए वाउचर एंट्री करें।
  • चेक के रियलाइजेशन को ट्रैक करने के लिए Cheque Status अपडेट करें।

(B) बैंक ट्रांजैक्शन एंट्री (Bank Transaction Entry)

बैंक ट्रांजैक्शन्स के लिए वाउचर एंट्री करें:

  1. Payment Voucher (F5) और Receipt Voucher (F6) का उपयोग करें।
  2. चेक के माध्यम से पेमेंट/रिसीव ट्रांजैक्शन दर्ज करें।
  3. Banking Master को बैंक ट्रांजैक्शन्स के लिए कॉन्फ़िगर करें।
  4. बैंक बैलेंस अपडेट करें।

📌 उदाहरण:

Transaction

Bank Name

Cheque No.

Amount

Payment

SBI

123456

₹10,000

Receipt

HDFC

654321

₹20,000


2. डिजिटल पेमेंट और UPI इंटीग्रेशन (Digital Payment & UPI Integration in Tally Prime)

(A) डिजिटल पेमेंट्स (Digital Payments in Tally Prime)

डिजिटल पेमेंट्स के लिए टैली प्राइम ने कई पेमेन्ट गेटवे का इंटीग्रेशन किया है।

  1. Gateway of Tally → "Banking" → "Payment" → "Digital Payment" पर जाएं।
  2. डिजिटल पेमेंट्स के लिए UPI, NEFT, RTGS, और IMPS जैसे ऑप्शन्स का चयन करें।
  3. UPI (Unified Payments Interface) या अन्य पेमेंट सिस्टम का उपयोग करके ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स करें।

📌 UPI पेमेंट:

  1. UPI ID दर्ज करें।
  2. Amount और Transaction Reference डालें।
  3. Payment Confirmation प्राप्त होने पर ट्रांजैक्शन को फाइनल करें।

(B) UPI इंटीग्रेशन (UPI Integration in Tally Prime)

UPI के माध्यम से पेमेंट ट्रैक करने के लिए:

  1. UPI Ledger क्रिएट करें (इसी में सभी UPI पेमेंट्स की एंट्री होगी)।
  2. UPI ट्रांजैक्शन्स को बैंक वाउचर में एंट्री करें।
  3. UPI QR Code को ट्रांजैक्शन पेज में ऐड करें।

📌 UPI इंटीग्रेशन का फायदा:

  • ट्रांजैक्शन्स को ऑटोमेटिक कैटेगरी में ऑर्गनाइज करना।
  • UPI पेमेंट का ट्रैक रखना।

3. ऑडिटिंग टूल्स और वेरिफिकेशन (Auditing Tools & Verification in Tally Prime)

(A) ऑडिटिंग टूल्स (Auditing Tools in Tally Prime)

टैली में ऑडिटिंग टूल्स का उपयोग:

  1. Gateway of Tally → "Display" → "Audit & Compliance" → "Internal Audit" पर जाएं।
  2. Tally Prime में ऑडिटिंग टूल्स से वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच की जाती है, जिससे डुप्लीकेट या गलत एंट्री को रोका जा सकता है।

📌 ऑडिटिंग टूल्स में मुख्य ऑप्शन्स:

  • Voucher Verification: सभी वाउचर्स को वेरीफाई करें।
  • Periodical Audit: कुछ खास समय अवधि के लिए ऑडिटिंग करें।
  • Transaction Scrutiny: प्रत्येक ट्रांजैक्शन की डिटेल्स की जांच करें।
  • Mismatch Detection: Mismatch या duplicate entries की पहचान करें।

(B) ऑडिट लॉग (Audit Log in Tally Prime)

ऑडिट लॉग से आप:

  1. सभी ट्रांजैक्शन्स और वाउचर्स का हिसाब रख सकते हैं।
  2. किसी भी यूज़र द्वारा किए गए बदलावों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  3. व्हाइटल एरर और फ्रॉड ट्रांजैक्शन्स को जल्दी से पहचान सकते हैं।

📌 ऑडिट लॉग में एक उदाहरण:

Trx Type

User

Date

Amount

Payment

Admin

01-Jan-2025

₹5,000

Receipt

User1

02-Jan-2025

₹10,000


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

Tally Prime में बैंकिंग और ऑडिटिंग से वित्तीय ट्रांजैक्शन्स की निगरानी करना आसान हो जाता है।
Cheque Management से सभी बैंक चेक्स को ट्रैक करें।
Digital Payments और UPI का इंटीग्रेशन पेमेंट्स को आसान और सुरक्षित बनाता है।
Auditing Tools से आप सभी वाउचर्स और ट्रांजैक्शन्स की जाँच और वेरिफिकेशन कर सकते हैं।

📌 क्या आपको किसी अन्य फीचर या टूल के बारे में जानकारी चाहिए? 😊


 

8. एडवांस टैली प्राइम फीचर्स (Advanced Features in Tally Prime)

एडवांस टैली प्राइम फीचर्स से आप अधिक उन्नत सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं जो फाइनेंस, बजट, मल्टी-करेन्सी सपोर्ट, डेटा मैनेजमेंट और ई-ट्रांसएक्शन को बहुत आसान बनाती हैं।


1. बजट और लागत केंद्र (Cost Center & Budgeting in Tally Prime)

(A) बजट (Budgeting in Tally Prime)

बजट सेट करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "F11: Features" → "Accounting Features" → Enable Budgeting को Yes करें।
  2. फिर "Accounts Info" → "Budgets" → "Create" पर जाएं।
  3. बजट का नाम, वित्तीय वर्ष और अकाउंट्स को सेलेक्ट करें।
  4. बजट के लिए Amount और Period (महीने, तिमाही, वर्ष) सेट करें।

📌 बजट की एंट्री:

खर्च/आय

वित्तीय वर्ष

बजट (₹)

बिक्री

2025-26

₹50,00,000

खर्च

2025-26

₹20,00,000

शुद्ध लाभ

2025-26

₹30,00,000


(B) लागत केंद्र (Cost Center in Tally Prime)

लागत केंद्र को इनेबल करना:

  1. Gateway of Tally → "F11: Features" → "Accounting Features" → Enable Cost Centers को Yes करें।
  2. Cost Centers को Create करने के लिए, Accounts Info → "Cost Centers" → "Create" पर जाएं।
  3. प्रत्येक कोस्ट सेंटर के लिए अलग-अलग प्रोफिट और लॉस रिपोर्ट जनरेट करें।
  4. ट्रांजैक्शन्स के लिए Cost Centers असाइन करें।

📌 लागत केंद्र रिपोर्ट:

  • यह रिपोर्ट हर एक डिवीजन/विभाग के लिए किसी भी खर्च या आय का ट्रैक रखने में मदद करती है।

2. मल्टी-करेन्सी सपोर्ट (Multi-Currency Support in Tally Prime)

(A) मल्टी-करेन्सी सेटअप (Setting up Multi-Currency in Tally Prime)

मल्टी-करेन्सी फीचर को चालू करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "F11: Features" → "Accounting Features" → Enable Multi-Currency को Yes करें।
  2. Accounts Info → "Currencies" → "Create" पर जाएं।
  3. Currency Name (उदाहरण: USD, EUR) और Symbol (उदाहरण: $, €) दर्ज करें।
  4. Currency Rate को रूपए के मुकाबले सेट करें (जैसे ₹1 = USD 0.013)

📌 मल्टी-करेन्सी ट्रांजैक्शन की एंट्री:

  1. जब आप Foreign Currency में Payable या Receivable ट्रांजैक्शन कर रहे होते हैं, तो आप सही Currency चुन सकते हैं।
  2. Exchange Rate को अपडेट करें, और टैली Currency Conversion ऑटोमैटिकली कर देगा।

3. डेटा एक्सपोर्ट और इंपोर्ट (Data Export & Import in Tally Prime)

(A) डेटा एक्सपोर्ट (Data Export in Tally Prime)

डेटा एक्सपोर्ट करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Display" → "Account Books" → "Export" पर जाएं।
  2. Export Format को चुनें (Text, Excel, PDF, etc.)
  3. Date Range और Ledger/Report को सिलेक्ट करें और "Export" दबाएं।
  4. डेटा को Excel या CSV फाइल के रूप में सेव करें।

📌 उदाहरण:

रिपोर्ट

फॉर्मेट

एक्सपोर्टेड डेटा

Balance Sheet

Excel

अकाउंट्स डिटेल्स और बैलेंस

Profit & Loss

PDF

नुकसान और मुनाफा रिपोर्ट


(B) डेटा इंपोर्ट (Data Import in Tally Prime)

डेटा इंपोर्ट करने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Import Data" → "Masters" या "Vouchers" पर जाएं।
  2. Source File (Excel या CSV) का चयन करें।
  3. डेटा को सही लेजर, ग्रुप या कास्ट सेंटर में इम्पोर्ट करें।
  4. इम्पोर्ट के बाद डेटा की समीक्षा करें और सुधारें।

📌 इंपोर्ट के फायदे:

  • बड़ी मात्रा में डेटा को ऑटोमैटिकली अपडेट किया जा सकता है।
  • अलग-अलग रिपोर्ट्स को आसानी से मर्ज किया जा सकता है।

4. ई-इनवॉइस और ई-वे बिल (E-Invoice & E-Way Bill in Tally Prime)

(A) ई-इनवॉइस (E-Invoice in Tally Prime)

ई-इनवॉइस को चालू करने के लिए:

  1. F11: Features → "GST" → Enable E-Invoicing को Yes करें।
  2. Gateway of Tally → "Voucher Entry" → Sales/Purchase Voucher पर जाएं।
  3. जब आप GST Invoice बनाते हैं, तो Tally Prime Auto-Generate E-Invoice करेगा।
  4. E-Invoice Number और QR Code को ऑटोमैटिकली जनरेट किया जाएगा।

📌 ई-इनवॉइस के लाभ:

  • यह GST Compliance को आसान बनाता है।
  • सभी विक्रेताओं और ग्राहकों को ई-इनवॉइस भेजे जा सकते हैं।

(B) ई-वे बिल (E-Way Bill in Tally Prime)

ई-वे बिल के लिए:

  1. F11: Features → "GST" → Enable E-Way Bill को Yes करें।
  2. Gateway of Tally → "Voucher Entry" → Sales/Purchase Voucher पर जाएं।
  3. E-Way Bill Number को Generate करें।
  4. अगर E-Way Bill Required है, तो GST Number और Vehicle Details दर्ज करें।
  5. E-Way Bill को Tally Prime द्वारा जनरेट किया जाएगा।

📌 ई-वे बिल के लाभ:

  • यह Goods Transport के दौरान GST Compliance को सरल बनाता है।
  • Supply Chain के सभी स्टेप्स को ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकता है।

🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

Tally Prime के एडवांस फीचर्स से आप आसानी से बजट, लागत केंद्र, मल्टी-करेन्सी, डेटा एक्सपोर्ट/इंपोर्ट और ई-इनवॉइस/ई-वे बिल को मैनेज कर सकते हैं।
Multi-Currency सपोर्ट से अंतर्राष्ट्रीय ट्रांजैक्शन्स को ट्रैक करना सरल हो जाता है।
ई-इनवॉइस और ई-वे बिल की मदद से GST Compliance और Supply Chain Management अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित हो जाता है।

📌 क्या आपको किसी और फीचर या सेटअप में मदद चाहिए? 😊


 

9. टैली प्राइम में MIS रिपोर्टिंग (MIS Reporting in Tally Prime)

MIS (Management Information System) रिपोर्टिंग टैली प्राइम में महत्वपूर्ण टूल है जो फाइनेंशियल डेटा और बिजनेस परफॉर्मेंस का विश्लेषण करने में मदद करता है। यह बैलेंस शीट, P&L अकाउंट, और अन्य फाइनेंशियल रिपोर्ट्स के माध्यम से बिज़नेस के स्टेटस को प्रभावी ढंग से मॉनिटर करने के लिए उपयोगी है।


1. बैलेंस शीट और P&L अकाउंट (Balance Sheet & Profit & Loss Account in Tally Prime)

(A) बैलेंस शीट (Balance Sheet in Tally Prime)

बैलेंस शीट देखने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Display" → "Balance Sheet" पर जाएं।
  2. बैलेंस शीट में Assets और Liabilities को विभाजित किया जाता है।
  3. यह रिपोर्ट खाते, धन की स्थिति, फंड फ्लो को आसानी से दिखाती है।

📌 बैलेंस शीट में मुख्य हिस्से:

  • Assets Side:

o    Fixed Assets (जैसे, भूमि, भवन, मशीनरी)

o    Current Assets (जैसे, Debtors, Stock)

o    Investments

  • Liabilities Side:

o    Shareholder's Equity

o    Current Liabilities (जैसे, Creditors, Short-term borrowings)


(B) P&L अकाउंट (Profit & Loss Account in Tally Prime)

P&L अकाउंट देखने के लिए:

  1. Gateway of Tally → "Display" → "Profit and Loss A/c" पर जाएं।
  2. Revenue and Expenses को Income और Expenditure के तौर पर दिखाया जाता है।
  3. यह रिपोर्ट व्यापार से हुए लाभ और हुए नुकसान का प्रदर्शन करती है।

📌 P&L अकाउंट में मुख्य हिस्से:

  • Income Side:

o    Sales

o    Other Income

  • Expense Side:

o    Operating Expenses (जैसे, Salary, Rent, Depreciation)

o    Non-operating Expenses


2. फाइनेंशियल रिपोर्टिंग और एनालिसिस (Financial Reporting & Analysis in Tally Prime)

(A) फाइनेंशियल रिपोर्टिंग (Financial Reporting in Tally Prime)

फाइनेंशियल रिपोर्टिंग से आप बिज़नेस के वित्तीय आंकड़ों का विश्लेषण कर सकते हैं, जैसे:

  1. Income and Expenses: इसमें आय और खर्च की पूरी जानकारी होती है।
  2. Ledger Reports: प्रत्येक लेजर की स्थिति को दिखाने वाली रिपोर्ट।
  3. Cash/Bank Book: इसमें कैश और बैंक से संबंधित सभी ट्रांजैक्शन की जानकारी होती है।

📌 विभिन्न रिपोर्ट्स:

  • Trial Balance: अकाउंट्स के सभी लेजर की स्थिति दिखाती है।
  • Ageing Analysis: Debtors और Creditors के उधारी की स्थिति को देखती है।
  • GST Reports: GST से संबंधित सभी रिपोर्ट्स, जैसे GST Return Filing

(B) फाइनेंशियल एनालिसिस (Financial Analysis in Tally Prime)

फाइनेंशियल एनालिसिस से आप निम्नलिखित विवरणों को विश्लेषित कर सकते हैं:

  1. Ratio Analysis:

o    Liquidity Ratios: (Current Ratio, Quick Ratio)

o    Profitability Ratios: (Gross Profit Margin, Net Profit Margin)

o    Solvency Ratios: (Debt Equity Ratio, Interest Coverage Ratio)

  1. Trend Analysis:

o    Past Performance का विश्लेषण करके Future Projections तैयार करें।

  1. Comparative Statements:

o    Current Period vs Previous Period का डेटा और उसकी तुलना करें।

📌 फाइनेंशियल एनालिसिस से प्राप्त लाभ:

  • व्यापार के मुनाफे और नुकसान की जल्दी पहचान होती है।
  • निवेशकों और मालिकों को बिजनेस की स्थिति समझने में मदद मिलती है।

3. कैश फ्लो और फंड फ्लो स्टेटमेंट (Cash Flow & Fund Flow Statement in Tally Prime)

(A) कैश फ्लो स्टेटमेंट (Cash Flow Statement in Tally Prime)

कैश फ्लो स्टेटमेंट का उद्देश्य:

  1. Cash Flow Statement व्यापार के कैश इन्फ्लो और कैश आउटफ्लो की स्थिति को बताता है।
  2. यह Operating Activities, Investing Activities, और Financing Activities के आधार पर बनता है।

📌 कैश फ्लो स्टेटमेंट में मुख्य हिस्से:

  • Operating Activities:

o    Net Profit/Loss

o    Working Capital changes

  • Investing Activities:

o    Purchase or Sale of Fixed Assets

o    Investment in Securities

  • Financing Activities:

o    Loan Received/Repayment

o    Equity/Share Capital changes

(B) फंड फ्लो स्टेटमेंट (Fund Flow Statement in Tally Prime)

फंड फ्लो स्टेटमेंट का उद्देश्य:

  1. Fund Flow Statement में funds के स्रोत और उनके उपयोग को ट्रैक किया जाता है।
  2. यह रिपोर्ट Working Capital के बदलाव को दिखाती है, जैसे Short-term borrowings और Receivables

📌 फंड फ्लो स्टेटमेंट में मुख्य हिस्से:

  • Sources of Funds:

o    Issue of Share Capital

o    Long-term Loans

  • Uses of Funds:

o    Purchase of Fixed Assets

o    Repayment of Liabilities


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

MIS रिपोर्टिंग टैली प्राइम में फाइनेंशियल और बिजनेस परफॉर्मेंस की स्थिति का गहरी समझ प्रदान करती है।
Balance Sheet और P&L Account से आपको व्यापार के वित्तीय स्वास्थ्य का जायजा मिलता है।
Cash Flow और Fund Flow Statement से फंड्स के मूवमेंट की पूरी जानकारी मिलती है।
Financial Reporting और Analysis से बिजनेस के निर्णयों को बेहतर बनाया जा सकता है।

📌 क्या आपको किसी और रिपोर्ट या फीचर की जानकारी चाहिए? 😊

10. टैली प्राइम में ERP और कस्टमाइज़ेशन (ERP & Customization in Tally Prime)

टैली प्राइम में ERP (Enterprise Resource Planning) और कस्टमाइज़ेशन से आप अपनी व्यावसायिक जरूरतों के अनुसार टैली को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। इसके लिए टैली डेवलपमेंट लैंग्वेज (TDL), कस्टम रिपोर्टिंग, और API इंटीग्रेशन का इस्तेमाल किया जाता है।


1. टैली डेवलपमेंट लैंग्वेज (TDL) का परिचय (Introduction to Tally Development Language - TDL)

(A) TDL क्या है? (What is TDL?)

TDL (Tally Development Language) एक कस्टमाइजेशन टूल है, जिसे टैली प्राइम और टैली ERP 9 में नए फीचर्स, फंक्शंस, और कस्टम रिपोर्ट्स बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह प्लेटफॉर्म-विशिष्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जो टैली सॉफ़्टवेयर के अंदर किसी भी प्रकार के कस्टम बदलाव या नया फंक्शन जोड़ने के लिए इस्तेमाल होती है।

(B) TDL के लाभ (Benefits of TDL)

  1. कस्टमाइजेशन: किसी भी विशिष्ट बिजनेस प्रोसेस के अनुसार नए फीचर्स या रिपोर्ट्स डेवेलप करें।
  2. इंटीग्रेशन: थर्ड पार्टी एप्लिकेशन या सिस्टम्स के साथ टैली को इंटीग्रेट करें।
  3. आसान अपडेट्स: किसी भी बदलाव या अपडेट को टैली सॉफ़्टवेयर में बिना किसी मुश्किल के लागू किया जा सकता है।

📌 TDL का प्रयोग:

  • कस्टम रिपोर्ट्स बनाना
  • वाउचर फॉर्मेट में बदलाव
  • टैली के इंटरफ़ेस में कस्टमाइज़ेशन

2. टैली में कस्टम रिपोर्ट बनाना (Creating Custom Reports in Tally Prime)

(A) कस्टम रिपोर्ट कैसे बनाएं? (How to Create Custom Reports?)

कस्टम रिपोर्ट बनाने के लिए TDL का उपयोग करें:

  1. TDL सॉफ्टवेयर की मदद से आप अपनी व्यावसायिक जरूरतों के अनुसार नई रिपोर्ट बना सकते हैं।
  2. TallyPrime में नए वाउचर टाइप, रिपोर्ट्स, और फॉर्मेट्स कस्टमाइज किए जा सकते हैं।

(B) कस्टम रिपोर्ट का उदाहरण (Custom Report Example)

  1. Sales Summary Report:

o    लक्ष्य: किसी खास दिसंबर महीने के दौरान किए गए सभी विक्रय की जानकारी देना।

o    TDL में कस्टम रिपोर्ट को सेटअप करने के लिए कोड:

Tally

CopyEdit

[Report: SalesSummary]

Title = "Monthly Sales Summary"

Include All Vouchers = Yes

Column: SalesAmount

Filter: VoucherType = "Sale"

  1. Profit Analysis Report:

o    लक्ष्य: नफा और नुकसान की रिपोर्ट तैयार करना, जिसमें विभिन्न खातों से प्राप्त इनकम और एक्सपेंस को शामिल किया जाए।

o    TDL कोड:

Tally

CopyEdit

[Report: ProfitAnalysis]

Title = "Profit and Loss Report"

Filter: VoucherType = "Sales" OR VoucherType = "Expenses"

Column: IncomeAmount, ExpenseAmount

📌 कस्टम रिपोर्ट के फायदे:

  • रिपोर्ट्स को आपके बिजनेस प्रोसेस के हिसाब से तैयार किया जा सकता है।
  • संपूर्ण डेटा एनालिसिस आसानी से किया जा सकता है।

3. API और थर्ड-पार्टी इंटीग्रेशन (API and Third-Party Integration in Tally Prime)

(A) API क्या है? (What is API?)

API (Application Programming Interface) एक मिडलवेयर है, जो टैली प्राइम को अन्य सॉफ़्टवेयर और एप्लिकेशन से जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। API की मदद से सिस्टम्स के बीच डेटा एक्सचेंज को आसानी से किया जा सकता है।

(B) टैली API का उपयोग (Using Tally API)

  1. Tally API का प्रयोग डेटा इंटीग्रेशन और ऑटोमेटेड ट्रांजैक्शन्स के लिए किया जाता है।
  2. API के माध्यम से आप टैली प्राइम के डेटा को बाहरी सॉफ़्टवेयर जैसे CRM, ERP Systems, या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से इंटीग्रेट कर सकते हैं।
  3. API के जरिए आप वाउचर डेटा, GST रिपोर्ट, कैश फ्लो और अन्य डेटा को आसानी से मिनटों में अपलोड या डाउनलोड कर सकते हैं।

📌 API का उदाहरण:

  • API का उपयोग करने से आप ऑटोमेटिक ट्रांजैक्शन कर सकते हैं।
  • Customer Data को CRM से सीधे टैली में इम्पोर्ट कर सकते हैं।

(C) थर्ड-पार्टी इंटीग्रेशन (Third-Party Integration)

टैली प्राइम में विभिन्न थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन्स और सिस्टम्स के साथ इंटीग्रेशन करने के लिए कई तरीके हैं। इसमें शामिल हैं:

  1. GST Software Integration:

o    टैली प्राइम में GST Reports को थर्ड-पार्टी GST Filing Software के साथ इंटीग्रेट किया जा सकता है।

  1. Payment Gateways Integration:

o    Payment Systems जैसे UPI, Paytm, Stripe को टैली के पेमेन्ट वाउचर के साथ जोड़ा जा सकता है।

  1. E-commerce Platforms Integration:

o    E-commerce websites जैसे Amazon, Flipkart, और Shopify के साथ डेटा का ऑटोमेटेड ट्रांसफर

📌 थर्ड-पार्टी इंटीग्रेशन के लाभ:

  • ऑटोमेशन से कार्य की गति और सटीकता बढ़ती है।
  • सिस्टम्स के बीच डेटा एक्सचेंज को सरल और तेज बनाता है।
  • समय की बचत होती है, जिससे व्यापार के संचालन में सुधार आता है।

🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

टैली डेवलपमेंट लैंग्वेज (TDL) के माध्यम से आप कस्टम रिपोर्ट्स, नए फीचर्स, और कस्टमाइजेशन की पूरी क्षमता का लाभ उठा सकते हैं।
API और थर्ड-पार्टी इंटीग्रेशन से आप टैली को अन्य सिस्टम्स के साथ आसानी से जोड़ सकते हैं।
कस्टम रिपोर्टिंग से आपकी बिजनेस की जरूरतें और फाइनेंशियल डेटा बिल्कुल आपकी पसंद के अनुसार तैयार की जा सकती है।

📌 क्या आपको टैली में और किसी विशेष कस्टम रिपोर्ट या इंटीग्रेशन के बारे में जानना है? 😊

 

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