TALLY PRIME & ERP FULL COURE BY ANUGRAH
COMPUTER INSTITUTE
EMAX INDIA INSTITUTE & IDEED GOVT / 9001:2015
1. टैली प्राइम का परिचय (Introduction to Tally Prime)
टैली (Tally) क्या है?
टैली एक आर्थिक सॉफ़्टवेयर है जो छोटे और
मंझले व्यापारों के लिए अकाउंटिंग, इन्वेंट्री मैनेजमेंट,
टैक्सेशन, और अन्य बिजनेस फाइनेंस कार्यों को सरल और प्रभावी
ढंग से मैनेज करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक ऑनलाइन या ऑफलाइन सॉफ़्टवेयर है, जो Windows और Cloud प्लेटफॉर्म पर कार्य करता है।
टैली व्यापारिक लेन-देन, वाउचर एंट्री, रिपोर्टिंग, GST रिपोर्टिंग, कस्टम रिपोर्टिंग जैसी सुविधाएं
प्रदान करता है। यह भारतीय व्यापारों के लिए विशेष रूप से GST (Goods and Services Tax) के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
टैली को किसने और कब बनाया?
टैली
सॉफ़्टवेयर की शुरुआत भारत के भारत देश के जयंत कौल और शंकर ने की थी। इसे पहले "Tally
Solutions Pvt. Ltd." के नाम से जाना
जाता था, जिसे 1986 में शंकर और उनकी टीम ने विकसित किया था। इस सॉफ़्टवेयर का मुख्य
उद्देश्य भारतीय व्यापारों को आसान अकाउंटिंग और बिजनेस मैनेजमेंट की सुविधा देना
था।
- संस्थापक: शंकर (Founder - Tally Solutions)
- स्थापना वर्ष: 1986
टैली का मुख्यालय कहां है?
टैली
सॉल्यूशन्स का मुख्यालय बंगलोर (Bangalore), कर्नाटका, भारत में स्थित है।
मुख्यालय:
Tally Solutions Pvt. Ltd.
बंगलोर, कर्नाटका, भारत
टैली की
स्थापना के बाद से यह सॉफ़्टवेयर भारतीय व्यापारों में आकाउंटिंग और वित्तीय रिपोर्टिंग के सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों
में से एक बन गया है। इसे Tally
ERP 9 और अब Tally Prime के रूप में विकसित किया गया, जो व्यापारों की जरूरतों के मुताबिक ज्यादा सुविधाएं और कस्टमाइजेशन प्रदान
करता है।
क्या आपको टैली
के किसी और फीचर के बारे में जानकारी चाहिए?
Tally ERP-9
Full Form – ENTERPRISE RESOURCE PLANNING
Founder – Shyam sundar Goenka
T – transitions, A – allowed , L – Linear , L- line , Y –
Yard.
Erp – Enterprise Resource Planning
It’s a Financial accounting S/W
It’s a maintain Daily Business transaction
Like – Purchases, Sales, Receipt ,Payable contra, Debit note,
Credit note
It’s Provided all the according to business required Report /
Bills
Also Provided GST Return Report Important for Leger Creation
Taly Provided 28Pre. Generated account Groups
15 Are Primary Groups
13 Are Secondary Groups.
1. How to work in Tally?
1.
Company
Creation
A.
Go
to company Info (Alt+F3)
(i)
Go
to create option shut company (Alt+F1)
2.
Ledger
Creation
A.
Go
to Account info
(i)
Ledger
(ii)
Create
3.
Inventory
Creation- (Stock)
A.
Go
to Inventory Info
(i)
Stock
groups
4.
Stock
Item Creation
(i)
Units
of measure
(ii)
Location
(Godown)
(iii)
Stock
Category – F11-F12
5.
Voucher
Entry (Bills) Invoice, Transaction
A Go
Accounting Voucher
list of Tally 28 common ledger groups with their corresponding "Under" groups in table form:
Ledger Group |
Under |
1. Fixed Assets |
Assets → Fixed Assets |
2. Current Assets |
Assets → Current Assets |
3. Investments |
Assets → Investments |
4. Sundry Creditors |
Liabilities → Sundry Creditors |
5. Current Liabilities |
Liabilities → Current Liabilities |
6. Long-term Liabilities |
Liabilities → Long-term Liabilities |
7. Sales Accounts |
Income → Sales Accounts |
8. Other Income |
Income → Other Income |
9. Capital Gains |
Income → Capital Gains |
10. Purchase Accounts |
Expenses → Purchase Accounts |
11. Indirect Expenses |
Expenses → Indirect Expenses |
12. Direct Expenses |
Expenses → Direct Expenses |
13. Owners Capital |
Capital Accounts → Owners Capital |
14. Partner’s Capital |
Capital Accounts → Partner’s
Capital |
15. GST Payable |
Duties & Taxes → GST Payable |
16. TDS Payable |
Duties & Taxes → TDS Payable |
17. Service Tax Payable |
Duties & Taxes → Service Tax Payable |
18. Suspense Account |
Suspense Accounts |
19. Bank Accounts |
Bank Accounts → Bank Accounts |
20. Cash-in-hand |
Cash → Cash-in-hand |
21. Rent |
Expenses (Indirect) → Rent |
22. Utilities |
Expenses (Indirect) → Utilities |
23. Insurance |
Expenses (Indirect) → Insurance |
24. Loans to Others |
Loans & Advances → Loans to
Others |
25. Investment in Shares |
Investment Accounts → Investment in Shares |
26. Partner’s Drawings |
Partner Accounts → Partner’s
Drawings |
27. Stock in Trade |
Other Current Assets → Stock in Trade |
28. Foreign Exchange Gains |
Foreign Exchange → Foreign Exchange
Gains |
Tally Ledgers Information
1. Bank Accounts – इस ग्रुप को सभी सामान्य बैंक के खातो के लेजर बनाने के लिए इस्तेमाल किया
जाता है। जैसे – PNB Bank
A/c, SBI Bank A/c आदि।
2. Bank OCC A/c – इस ग्रुप का इस्तेमाल OCC
(Open Credit Cash) बैंक अकाउंट से संबंधित
लेजर बनाने के लिए किया जाता है। यानि ऐसे खाते जिन खातों मे 0 बैलन्स के बावजूद भी लेन-देन किया जा सकता है। जैसे – HDFC OCC A/c, SBI OCC A/c आदि।
3. Bank OD A/c – इस ग्रुप मे Bank
Overdraft से संबंधित लेजर को क्रीऐट
किया जाता है। बैंक ओवरड्राफ्ट किसी व्यवसाय के लिए एक बैंक अकाउंट होता है, जिसमे 0 बैलन्स होने पर भी एक लिमिट तक कैश निकाला जा सकता है। जैसे
– HDFC Bank OD A/c, SBI
Bank OD A/c व अन्य।
4, Branch/Divisions – यदि किसी कंपनी की एक से ज्यादा ब्रांच है और उन सभी ब्रांच का हिसाब किताब एक
ही जगह रखा जाता है, तो उन सभी Branch/Divisions से संबन्धित
लेजर को इस Group के अंदर क्रीऐट किया जाता है। जैसे – ABC Pvt. Ltd. Lucknow, ABC Pvt. Ltd.
Kanpur, ABC Pvt. Ltd. Delhi आदि।
5. Capital Account – इस ग्रुप मे (पूंजी) से संबंधित लेजर को रखा जाता है। जैसे – Capital A/c, Harish Capital A/c आदि।
6. Cash-in-Hand – इस ग्रुप मे कैश से संबंधित लेजर को रखा जाता है, अगर कंपनी एक से अधिक कैश लेजर का इस्तेमाल करती है, जैसे – Cash A/c,
Petty Cash A/c आदि।
7. Current Assets – इस ग्रुप मे ऐसी संपत्तियों के लेजर क्रीऐट किए जाते है, जो चालू संपत्तियों (Current
Assets) से संबंधित हों। जैसे – Advance Payment, Bills Receivable,
Prepaid Rent, Stock आदि।
8. Current Liabilities – इस ग्रुप मे ऐसे लेजर्स को शामिल किया जाता है, जिनको भुगतान
करना है, जैसे – Tax Payable, Bills Payable, Salary Payable, Loan Payable आदि।
9. Deposits (Asset) – व्यापार मे जब कोई संपत्ति लंबे समय के लिए डिपॉजिट की जाती है, तो ऐसी संपत्तियों से संबंधित लेजर्स को इस ग्रुप के अंडर क्रीऐट किया जाता
है। जैसे – Godown
Security Deposit, Telephone Security Deposit, Bond, Fixed Deposit आदि।
10. Direct Expenses – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal
आदि।
11. Direct Incomes – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, ऐसी आय जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती है। जैसे- Income from Service Sales, Income
form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।
12. Duties & Taxes – इस ग्रुप मे सभी प्रकार के कर (Tax) से संबंधित लेजर्स को
क्रीऐट किया जाता है। जैसे – IGST, CGST, SGST, TDS, VAT आदि।
13. Expenses (Direct) – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal
आदि।
14. Expenses (Indirect) – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, वे खर्चे जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित
होते हैं। जैसे – Staff
Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges,
Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।
15. Fixed Assets – इस ग्रुप मे व्यवसाय की सभी स्थायी संपत्तियों के लेजर्स बनाए जाते है, वे संपत्तियां जो व्यवसाय के संचालन मे सहायक होती हैं। जैसे – Building, Land, Computer, Furniture,
Machinery, Tools आदि।
16. Income (Direct) – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, ऐसी आय (Income) जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती हो। जैसे – Income from Service Sales, Income
form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।
17. Income (Indirect) – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, यानि ऐसी आय जिसका सीधा संबंध माल या सर्विस की बिक्री से नही होता है। जैसे –
Interest Received,
Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।
18. Indirect Expenses – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते है, वे खर्चे जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित
होते हैं। जैसे – Staff
Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges,
Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।
19. Indirect Incomes – इस ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं, यानि ऐसी आय जिसका सीधा संबंध माल या सर्विस की बिक्री से नही होता है। जैसे –
Interest Received,
Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।
20. Investment – इस ग्रुप मे इनवेस्टमेंट से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। वे संपत्तियाँ जो
लॉंग टर्म मे अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदी जाती हैं। जैसे- Shares, Properties, Mutual Fund,
Stocks आदि।
21. Loan & Advances (Asset) – यदि व्यवसाय मे किसी को Advance Payment या Loan दिया गया है, तो ऐसे लेजर्स को इस ग्रुप के अंडर क्रीऐट करते है। जैसे – Loan Given to Friends or Relatives,
Advance Payment to Employee or Party आदि।
22. Loans (Liability) – यदि व्यवसाय मे किसी से Advance Payment या Loan लिया है, तो ऐसे लेजर्स (खाता) को इस ग्रुप मे क्रीऐट करते है। जैसे
– Bank Loan, Advance
Taken from Party आदि।
23. Misc. Expenses (Asset) – इस ग्रुप मे उन खर्चों के लेजर्स क्रीऐट करते है, जिनका पेमेंट वर्षों के अनुपात मे एक मुश्त करना होता है। जैसे – Preliminary Expenses, Copyright
Payment आदि।
24. Provisions – इस ग्रुप मे उन लेजर्स को क्रीऐट करते हैं, जो भविष्य मे होने वाले
किसी नुकसान की आपूर्ति करने के लिए बनाए जाते हैं। जैसे – Provision for Bad Debts, Loss
Recovery आदि।
25. Purchase Accounts – इस ग्रुप मे माल की खरीददारी व खरीदा माल वापसी से संबंधित लेजर्स बनाए जाते
हैं। जैसे – Purchase
A/c, Purchase Return A/c, Intra State Purchase A/c, Inter State Purchase A/cआदि।
26. Reserves & Surplus – व्यसाय को भविष्य मे बेहतर बनने के लिए जिन पूंजियों को रिजर्व करके रखा जाता
है, उनसे संबंधित लेजर्स इस ग्रुप के अंतर्गत बनाए जाते हैं।
जैसे – Generator
Reserves, Machine Reserves, Another Branch Reserves आदि।
27. Retained Earnings – इस ग्रुप मे ऐसे लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं जो रिटेनेड अरनिंग से संबंधित
होते हैं। जैसे – Future
Need, Economic Help आदि। रिटेंड अर्निंग्स को
हिंदी में अधिशेष लाभ या संचित लाभ भी कहा जाता है। यह कंपनी के कुल लाभ का वह
हिस्सा होता है जिसे कंपनी अपने पास रखती है, बजाय इसे शेयरधारकों को
लाभांश के रूप में बांटने के।
28. Sales Accounts – इस ग्रुप मे माल की बिक्री व बिका माल वापसी से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं।
जैसे – Sales A/c, Sales
Return A/c, Intra State Sales A/c, Inter State Sales A/c आदि।
29. Secured Loans – इस ग्रुप मे सुरक्षित ऋण से संबंधित लेजर्स बनाए जाते हैं। ऐसे ऋण, जिनमे ऋण के बदले कोई संपत्ति गिरवी रखनी होती है। जैसे – Bank Loans, Finance Loan आदि।
30. Stock-in-Hand – इस ग्रुप मे Stock से संबन्धित लेजर्स क्रीऐट किए जाते हैं। जैसे Opening Stock, Closing Stock,
Consignment Stock आदि।
31. Sundry Creditors – जब किसी कंपनी या पार्टी से उधार माल (Goods) खरीदते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के लेजर्स इस ग्रुप के अंडर बनाए जाते हैं। जैसे –
Mohan’s A/c, Verma
Industries, Varuna Pvt. Ltd. आदि।
32. Sundry Debtors – जब किसी कंपनी या पार्टी को उधार माल (Goods) बेचते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के लेजर्स इस ग्रुप के अंडर बनाए जाते हैं। जैसे –
Ahuja’s A/c, Malik &
Sons Co., Varuna Pvt. Ltd. आदि।
33. Suspense Account – इस ग्रुप के अंतर्गत किसी लेन-देन मे हुई भूल-चूक को याद रखने के लिए लेजर्स
बनाए जाते हैं।
34. Unsecured Loans – जब व्यवसाय मे किसी दोस्त या रिस्तेदार से बिना कोई संपत्ति गिरवी रखे लोन
लिया जाता है, तो ऐसे लोन से संबंधित लेजर्स को इस ग्रुप मे क्रीऐट करते
है। जैसे – Loan from
Vijay, Loan from Akash आदि।
• टैली प्राइम की
विशेषताएँ (Features
of Tally Prime)
टैली प्राइम एक उन्नत बिजनेस अकाउंटिंग
सॉफ़्टवेयर है, जो छोटे और बड़े व्यवसायों के लिए कई सुविधाएँ प्रदान करता
है:
✅
सरल और उपयोग
में आसान इंटरफ़ेस – नेविगेशन आसान और यूजर-फ्रेंडली है।
✅
एकाधिक
कंपनियों का प्रबंधन – एक ही सिस्टम पर कई कंपनियों के अकाउंट्स मैनेज कर सकते
हैं।
✅
GST और टैक्सेशन सपोर्ट – ऑटोमेटेड GST कैलकुलेशन और रिपोर्टिंग।
✅
बैंकिंग और
डिजिटल ट्रांजैक्शंस – बैंक स्टेटमेंट मिलान और ऑनलाइन पेमेंट सपोर्ट।
✅
इन्वेंटरी और
स्टॉक मैनेजमेंट – स्टॉक रिपोर्टिंग, गॉडाउन मैनेजमेंट, और बैच-वार ट्रैकिंग।
✅
पेरोल
मैनेजमेंट – कर्मचारियों की सैलरी, PF, ESI और अन्य बेनिफिट्स को मैनेज
करने की सुविधा।
✅
डेटा
सिक्योरिटी और बैकअप – पासवर्ड प्रोटेक्शन और ऑटो बैकअप सिस्टम।
✅
रियल-टाइम
बिजनेस रिपोर्टिंग – बैलेंस शीट, P&L, कैश फ्लो और अन्य
रिपोर्टिंग फीचर।
• टैली ERP 9 और टैली प्राइम में अंतर (Difference between Tally ERP 9 & Tally Prime)
अंतर के
बिंदु |
Tally ERP 9 |
Tally Prime |
यूजर
इंटरफ़ेस |
पारंपरिक इंटरफ़ेस,
जटिल
नेविगेशन |
सिंपल और आसान इंटरफ़ेस,
माउस व
कीबोर्ड दोनों से ऑपरेट कर सकते हैं |
नेविगेशन |
कीबोर्ड-आधारित शॉर्टकट्स |
आसान सर्च बार और बेहतर
नेविगेशन |
रिपोर्टिंग |
अलग-अलग रिपोर्ट्स देखने
के लिए कई स्टेप्स |
एक ही विंडो में सभी
रिपोर्ट्स आसानी से एक्सेस |
मल्टी-टास्किंग |
एक समय में सिर्फ एक ही
स्क्रीन पर काम कर सकते हैं |
मल्टी-टास्किंग सपोर्ट,
बिना डेटा
खोए अलग-अलग स्क्रीन पर काम कर सकते हैं |
GST कार्यक्षमता |
बेसिक GST रिपोर्टिंग |
एडवांस GST रेकंसीलिएशन
और रिपोर्टिंग फीचर्स |
इंस्टॉलेशन
और सेटअप |
मैन्युअल सेटअप और
कॉन्फ़िगरेशन की जरूरत |
आसान इंस्टॉलेशन और
कॉन्फ़िगरेशन |
बैकअप और
डेटा सिक्योरिटी |
मैन्युअल बैकअप प्रक्रिया |
ऑटोमेटेड बैकअप और डेटा
रिकवरी ऑप्शन |
• टैली प्राइम को
इंस्टॉल और सेटअप करना (Installing
& Setting Up Tally Prime)
✅ टैली प्राइम डाउनलोड करें
- टैली सॉल्यूशंस की आधिकारिक वेबसाइट
पर जाएं।
- "Tally Prime" का नवीनतम
वर्जन डाउनलोड करें।
✅ इंस्टॉलेशन प्रोसेस
- डाउनलोड की गई फ़ाइल को डबल-क्लिक करके खोलें।
- "Install" बटन पर क्लिक करें।
- इंस्टॉलेशन पूरा होने के बाद "Done" पर क्लिक
करें।
✅ लाइसेंस एक्टिवेशन
- टैली प्राइम खोलें और "Activate
License" ऑप्शन चुनें।
- टैली सॉल्यूशंस से प्राप्त Serial
Number और Activation Key दर्ज
करें।
- "Submit" पर क्लिक करें और आपका टैली प्राइम सक्रिय
हो जाएगा।
✅ कंपनी सेटअप
- "Create Company" ऑप्शन
चुनें।
- कंपनी का नाम, पता, वित्तीय
वर्ष और अन्य आवश्यक विवरण भरें।
- GST विवरण (यदि लागू हो) दर्ज करें।
- "Accept" बटन दबाएं और कंपनी सेटअप पूरा करें।
• इंटरफ़ेस और नेविगेशन
(Interface &
Navigation in Tally Prime)
✅ मुख्य स्क्रीन (Gateway
of Tally)
- टॉप मेनू बार – विभिन्न
फ़ंक्शंस जैसे कंपनी सेलेक्शन, रिपोर्ट्स, और हेल्प।
- लेफ्ट साइड बार – कंपनी
इन्फ़ॉर्मेशन और महत्वपूर्ण ऑप्शन।
- मेन स्क्रीन – अकाउंटिंग,
इन्वेंटरी, GST, बैंकिंग
आदि का एक्सेस।
✅ नेविगेशन सुधार
- सर्च बार – किसी भी
रिपोर्ट, वाउचर, या फ़ंक्शन को तुरंत खोज सकते हैं।
- कीबोर्ड और माउस सपोर्ट – पूरी तरह
कीबोर्ड शॉर्टकट्स और माउस नेविगेशन सपोर्ट।
- गो-टू फ़ीचर – किसी भी
स्क्रीन से सीधे वांछित सेक्शन पर जाने की सुविधा।
2. कंपनी निर्माण और
प्रबंधन (Company Creation & Management in
Tally Prime)
टैली प्राइम में कंपनी
बनाना और उसका प्रबंधन करना किसी भी व्यवसाय के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम
होता है। इसमें नई कंपनी बनाना, मौजूदा कंपनी में बदलाव करना, सिक्योरिटी सेट करना और
मल्टी-कंपनी मैनेजमेंट जैसे फीचर्स शामिल हैं।
1. कंपनी बनाना, बदलना और हटाना (Company
Creation, Alteration & Deletion)
(A) कंपनी बनाना (Creating a Company in Tally Prime)
✅
कंपनी बनाने के
लिए स्टेप्स:
- टैली प्राइम खोलें और "Create
Company" ऑप्शन चुनें।
- निम्नलिखित जानकारी दर्ज करें:
o कंपनी का नाम
(Company Name)
o पता, संपर्क विवरण
(Address, Contact Details)
o देश और राज्य
(Country & State)
o वित्तीय वर्ष
की शुरुआत (Financial Year Beginning)
o बुक्स की
शुरुआत की तारीख (Books Beginning Date)
- यदि आपकी कंपनी GST,
TDS या अन्य टैक्सेशन सिस्टम के अंतर्गत आती है,
तो उन्हें सक्षम करें।
- Ctrl + A दबाकर विवरण सेव करें।
(B) कंपनी बदलना (Altering a Company in Tally Prime)
✅
कंपनी में
बदलाव करने के लिए स्टेप्स:
- Gateway of Tally पर जाएं
और Alt + K दबाएं।
- "Alter" ऑप्शन
चुनें।
- जिस कंपनी में बदलाव करना है, उसे
चुनें।
- आवश्यक परिवर्तन करें (जैसे कंपनी नाम, पता,
टैक्स डिटेल्स आदि)।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
(C) कंपनी हटाना (Deleting a Company in Tally Prime)
✅
कंपनी हटाने के
लिए स्टेप्स:
- Gateway of Tally में जाएं
और Alt + F3 दबाएं।
- "Select Company" में जाकर
जिस कंपनी को हटाना है, उसे चुनें।
- Alt + D दबाएं (Delete
Command)।
- कन्फर्मेशन के लिए "Yes" दबाएं।
📌 नोट: एक बार कंपनी हटाने के बाद, उसे पुनः रिकवर नहीं किया जा सकता, इसलिए पहले बैकअप लेना जरूरी है।
2. सिक्योरिटी कंट्रोल
और यूजर मैनेजमेंट (Security
Control & User Management in Tally Prime)
बड़ी कंपनियों में कई
उपयोगकर्ता (Users) होते हैं, जिनके लिए अलग-अलग एक्सेस लेवल सेट करना जरूरी होता है।
टैली प्राइम में सिक्योरिटी कंट्रोल और यूजर मैनेजमेंट सेफ और ऑर्गनाइज़्ड डेटा
मैनेजमेंट में मदद करता है।
(A) सिक्योरिटी कंट्रोल
सेट करना (Setting Up
Security Control)
✅
सिक्योरिटी
कंट्रोल इनेबल करने के लिए:
- Alt + K दबाएं और "Company" → "Alter" चुनें।
- "Security Control" को Enable करें।
- "Admin Username" और "Password"
सेट करें।
- Ctrl + A दबाकर सेव
करें।
(B) नया यूजर बनाना (Creating Users & Assigning
Roles)
✅
यूजर बनाने के
लिए:
- Gateway of Tally →
"Company" → "Users & Passwords" पर जाएं।
- "Create User" ऑप्शन
चुनें।
- नया यूजरनेम और पासवर्ड सेट करें।
- यूजर को रोल असाइन करें (Admin, Data Entry,
Accounts आदि)।
- Ctrl + A दबाकर सेव
करें।
यूजर टाइप |
विशेषाधिकार
(Privileges) |
Owner
(Admin) |
सभी एक्सेस,
कंपनी
सेटिंग्स बदल सकते हैं। |
Accountant |
अकाउंटिंग
वाउचर एंट्री कर सकता है। |
Data
Entry Operator |
सिर्फ डेटा
एंट्री कर सकता है, रिपोर्ट्स नहीं देख सकता। |
Inventory
Manager |
स्टॉक और
इन्वेंटरी से जुड़ी रिपोर्ट्स देख सकता है। |
📌
टिप: हर यूजर को आवश्यकतानुसार एक्सेस देना चाहिए ताकि डेटा सुरक्षित रहे।
3. मल्टीपल कंपनी
मैनेजमेंट (Managing
Multiple Companies in Tally Prime)
टैली प्राइम एक से अधिक
कंपनियों को एक ही सिस्टम पर मैनेज करने की सुविधा देता है।
(A) मल्टी-कंपनी फीचर
एक्टिवेट करना
✅
मल्टी-कंपनी
मैनेज करने के लिए:
- Gateway of Tally में जाएं
और Alt + F3 दबाएं।
- "Create Company" ऑप्शन
चुनें और दूसरी कंपनी बनाएं।
- सभी कंपनियों को "Select Company" में जाकर
लोड करें।
- एक से अधिक कंपनियों को Alt
+ F1 दबाकर एक साथ देख सकते हैं।
(B) इंटर-कंपनी
ट्रांजैक्शंस (Inter-Company
Transactions in Tally Prime)
यदि आपके पास एक से अधिक
कंपनियाँ हैं और वे एक-दूसरे के साथ लेन-देन करती हैं, तो इंटर-कंपनी ट्रांजैक्शन
की सुविधा का उपयोग किया जा सकता है।
✅
इंटर-कंपनी
ट्रांजैक्शन सक्षम करने के लिए:
- "Features" → "F11" में जाएं।
- "Use Common Ledger for Multiple
Companies" को Yes करें।
- अब दोनों कंपनियों में एक ही लेजर से एंट्री कर सकते
हैं।
(C) मल्टी-कंपनी
रिपोर्टिंग (Generating
Multi-Company Reports)
✅
मल्टी-कंपनी
रिपोर्ट निकालने के लिए:
- "Display More Reports" →
"Multi-Company Reports" में जाएं।
- आप बैलेंस शीट, P&L, स्टॉक
समरी जैसी रिपोर्ट्स सभी कंपनियों की एक साथ देख सकते हैं।
- Excel या PDF
में Export कर सकते
हैं।
3. अकाउंटिंग बेसिक्स (Accounting
Basics in Tally Prime)
अकाउंटिंग बेसिक्स समझना किसी भी व्यवसाय के लिए
महत्वपूर्ण है। टैली प्राइम में अकाउंटिंग से जुड़ी सभी एंट्रीज़ और रिपोर्ट्स को
आसानी से मैनेज किया जा सकता है। इसमें ग्रुप्स और
लेजर बनाना, वाउचर एंट्री, बैंक रीकंसीलिएशन और
डेबिट/क्रेडिट नोट जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल
हैं।
1. अकाउंटिंग ग्रुप्स और
लेजर क्रिएशन (Accounting
Groups & Ledger Creation)
टैली प्राइम में अकाउंट्स को व्यवस्थित रखने के
लिए ग्रुप्स और लेजर्स बनाए जाते हैं।
(A) अकाउंटिंग ग्रुप्स (Accounting Groups in Tally Prime)
टैली में पहले से 28 प्री-डिफाइंड ग्रुप्स होते
हैं, जिन्हें दो भागों में बांटा गया है:
- प्राइमरी ग्रुप्स (Primary Groups) – जैसे कि Assets, Liabilities, Income, Expenses
- सेकेंडरी ग्रुप्स (Secondary Groups) – जैसे कि Sundry Debtors, Sundry Creditors, Bank Accounts, Direct
Expenses आदि।
✅ नए ग्रुप बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounts Info" →
"Groups" → "Create" पर जाएं।
- ग्रुप का नाम डालें (जैसे "Loan
Account")।
- इसे किसी प्राइमरी ग्रुप (जैसे "Liabilities")
के अंतर्गत रखें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
(B) लेजर क्रिएशन (Ledger Creation in Tally Prime)
लेजर किसी भी अकाउंटिंग सिस्टम की मूल इकाई होता
है।
✅ नया लेजर बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounts Info" →
"Ledgers" → "Create" पर जाएं।
- लेजर का नाम डालें (जैसे कि "HDFC
Bank")।
- इसे संबंधित ग्रुप में रखें (जैसे "Bank
Accounts")।
- यदि यह GST से संबंधित है, तो GST
डिटेल्स जोड़ें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 टिप:
- ग्राहकों (Customers) के लिए Sundry Debtors के अंतर्गत लेजर बनाएं।
- सप्लायर्स (Suppliers) के लिए Sundry Creditors के अंतर्गत लेजर बनाएं।
- बैंक अकाउंट के लिए Bank
Accounts ग्रुप का उपयोग करें।
2. वाउचर एंट्री (Voucher Entry in Tally Prime)
टैली प्राइम में विभिन्न प्रकार की वाउचर एंट्री
की जाती हैं:
(A) पर्चेज वाउचर (Purchase Voucher - F9)
✅ पर्चेज एंट्री करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounting
Vouchers" → "F9: Purchase" दबाएं।
- सप्लायर का नाम चुनें।
- माल की डिटेल्स और जीएसटी विवरण भरें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
(B) सेल्स वाउचर (Sales Voucher - F8)
✅ सेल्स एंट्री करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounting
Vouchers" → "F8: Sales" दबाएं।
- ग्राहक (Customer) का नाम
चुनें।
- माल की डिटेल्स और जीएसटी विवरण जोड़ें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
(C) पेमेंट वाउचर (Payment Voucher - F5)
✅ पेमेंट एंट्री करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounting
Vouchers" → "F5: Payment" दबाएं।
- जिस बैंक या कैश से भुगतान हुआ, वह अकाउंट
चुनें।
- जिस पार्टी या व्यक्ति को पेमेंट किया गया, उसका नाम
डालें।
- राशि दर्ज करें और सेव करें।
(D) रिसीट वाउचर (Receipt Voucher - F6)
✅ रिसीट एंट्री करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounting
Vouchers" → "F6: Receipt" दबाएं।
- प्राप्तकर्ता का नाम और अकाउंट सिलेक्ट करें।
- रिसीव की गई राशि और मोड (कैश/बैंक) डालें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
(E) जर्नल वाउचर (Journal Voucher - F7)
✅ जर्नल एंट्री करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounting
Vouchers" → "F7: Journal" दबाएं।
- संबंधित खातों का चयन करें।
- डेबिट और क्रेडिट राशि डालें।
- विवरण जोड़ें और सेव करें।
📌 टिप:
- GST ट्रांजैक्शंस के लिए
"Purchase" और "Sales" वाउचर का
उपयोग करें।
- बैंक ट्रांसफर या बैलेंस समायोजन के लिए "Journal Voucher" उपयोग
करें।
3. बैंक रीकंसीलिएशन (Bank Reconciliation in Tally
Prime)
✅ बैंक रीकंसीलिएशन करने के
लिए:
- Gateway of Tally → "Banking" →
"Bank Reconciliation" पर जाएं।
- जिस बैंक का स्टेटमेंट मिलाना है, उसे
चुनें।
- बैंक स्टेटमेंट से प्राप्त तिथियों को टैली में दर्ज
करें।
- मिलान हो जाने पर Ctrl
+ A दबाकर सेव करें।
📌 टिप:
- इससे चेक क्लियरेंस और गलत एंट्री का पता लगाया जा
सकता है।
- यह कैश फ्लो
मैनेजमेंट में मदद करता है।
4. क्रेडिट और डेबिट नोट
(Credit & Debit
Notes in Tally Prime)
क्रेडिट नोट (Credit Note - Ctrl + F8):
- जब कोई ग्राहक हमें माल वापस
करता है तो क्रेडिट नोट जारी किया जाता है।
- यह सेल्स
रिटर्न को दर्शाता है।
✅ क्रेडिट नोट बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounting
Vouchers" → "Ctrl + F8: Credit Note" दबाएं।
- ग्राहक का नाम चुनें।
- लौटाए गए माल की जानकारी भरें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
डेबिट नोट (Debit Note - Ctrl + F9):
- जब हम किसी सप्लायर को माल वापस
करते हैं, तो डेबिट नोट जारी किया जाता है।
- यह पर्चेज
रिटर्न को दर्शाता है।
✅ डेबिट नोट बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Accounting
Vouchers" → "Ctrl + F9: Debit Note" दबाएं।
- सप्लायर का नाम चुनें।
- लौटाए गए माल की जानकारी भरें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
4. इन्वेंटरी मैनेजमेंट
(Inventory Management in Tally Prime)
इन्वेंटरी मैनेजमेंट किसी भी बिजनेस के लिए बहुत
महत्वपूर्ण होता है, खासकर जब वह प्रोडक्ट्स बेचने या स्टोर करने से जुड़ा हो। टैली प्राइम में स्टॉक आइटम्स,
स्टॉक ग्रुप्स, यूनिट्स, गोदाम, बैच-वाइज डिटेल्स, स्टॉक जर्नल और
बिल ऑफ मटेरियल (BOM) जैसी सुविधाएँ होती हैं, जो इन्वेंटरी को प्रभावी
रूप से मैनेज करने में मदद करती हैं।
1. स्टॉक ग्रुप्स, स्टॉक आइटम्स और स्टॉक यूनिट्स (Stock Groups, Stock Items & Stock Units)
(A) स्टॉक ग्रुप्स (Stock Groups in Tally Prime)
स्टॉक ग्रुप्स का उपयोग स्टॉक आइटम्स को
वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है, जिससे रिपोर्टिंग और प्राइसिंग आसान हो जाती है।
✅ स्टॉक ग्रुप बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory Info"
→ "Stock Groups" → "Create" पर जाएं।
- ग्रुप का नाम डालें (जैसे
"Electronics")।
- यदि इसे किसी अन्य ग्रुप के अंदर रखना हो, तो "Under
Group" चुनें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 उदाहरण:
स्टॉक ग्रुप |
स्टॉक आइटम्स |
Electronics |
Mobile, Laptop |
Furniture |
Table, Chair |
(B) स्टॉक आइटम्स (Stock Items in Tally Prime)
स्टॉक आइटम्स वे प्रोडक्ट्स होते हैं, जो खरीदे या
बेचे जाते हैं।
✅ स्टॉक आइटम बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory Info"
→ "Stock Items" → "Create" पर जाएं।
- आइटम का नाम डालें (जैसे "Samsung
Mobile")।
- इसे किसी स्टॉक
ग्रुप के अंतर्गत रखें।
- यूनिट (PCS, KG, LTR) और
प्राइसिंग डिटेल्स दर्ज करें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 टिप:
- यदि GST लागू है, तो "GST Details" भी
जोड़ें।
- अलग-अलग प्रोडक्ट्स को सही ग्रुप में रखना रिपोर्टिंग
को आसान बनाता है।
(C) स्टॉक यूनिट्स (Stock Units in Tally Prime)
स्टॉक यूनिट्स को मापने के लिए उपयोग किया जाता
है, जैसे PCS (Pieces), KG (Kilograms), LTR
(Liters), Dozen, Box आदि।
✅ स्टॉक यूनिट बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory Info"
→ "Units of Measure" → "Create" पर जाएं।
- यूनिट का नाम (जैसे PCS, KG) डालें।
- टाइप चुनें: Simple (एकल माप)
या Compound (दो यूनिट्स का कॉम्बिनेशन, जैसे Dozen
& Pieces)।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 उदाहरण:
- 1 Dozen = 12 PCS (Compound Unit)।
- Oil = 1 LTR (Simple Unit)।
2. गोदाम (Godown) और बैच-वाइज डिटेल्स (Godown & Batch-Wise Details)
(A) गोदाम (Godown in Tally Prime)
यदि किसी बिजनेस में एक से अधिक
स्टोरेज लोकेशन हैं, तो "Godown" फीचर का उपयोग किया जाता
है।
✅ गोदाम बनाने के लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory Info"
→ "Godowns" → "Create" पर जाएं।
- गोदाम का नाम डालें (जैसे "Main
Warehouse")।
- यदि यह किसी अन्य गोदाम के अंदर है, तो "Under"
में चयन करें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 उदाहरण:
गोदाम का नाम |
स्थान (Location) |
Main Warehouse |
Delhi |
Sub Warehouse |
Mumbai |
(B) बैच-वाइज डिटेल्स (Batch-Wise Details in Tally Prime)
बैच-वाइज इन्वेंटरी का उपयोग उन प्रोडक्ट्स के
लिए किया जाता है, जिनकी एक्सपायरी डेट होती है
(जैसे मेडिसिन,
FMCG, फूड आइटम्स)।
✅ बैच एनेबल करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory Features
(F11)" पर जाएं।
- "Enable Batch-wise Details" को Yes करें।
- बैच नंबर और एक्सपायरी डेट जोड़ें।
📌 उदाहरण:
बैच नंबर |
उत्पाद का
नाम |
एक्सपायरी
डेट |
B1234 |
Paracetamol |
30-12-2025 |
B5678 |
Cold Syrup |
15-06-2026 |
3. स्टॉक जर्नल और
मटेरियल ट्रांसफर (Stock
Journal & Material Transfer)
(A) स्टॉक जर्नल (Stock Journal in Tally Prime)
स्टॉक जर्नल का उपयोग तब किया जाता है, जब स्टॉक को एडजस्ट या कन्वर्ट करना हो।
✅ स्टॉक जर्नल एंट्री करने के
लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory
Vouchers" → "Alt + F7: Stock Journal" दबाएं।
- जिस आइटम को ट्रांसफर करना है, उसे
चुनें।
- नए स्टॉक में बदलाव करें और सेव करें।
📌 उदाहरण:
- Raw Material → Finished Goods
- Loose Items → Packed Items
(B) मटेरियल ट्रांसफर (Material Transfer in Tally Prime)
यदि किसी कंपनी के पास एक से अधिक
गोदाम हैं, तो यह फीचर उपयोगी है।
✅ मटेरियल ट्रांसफर करने के
लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory
Vouchers" → "Alt + F7: Stock Journal" दबाएं।
- "Source Godown" और "Destination
Godown" चुनें।
- स्टॉक आइटम और उसकी मात्रा डालें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 उदाहरण:
Source
Godown |
Destination
Godown |
स्टॉक आइटम |
Delhi Warehouse |
Mumbai
Warehouse |
Laptops (10
PCS) |
4. बिल ऑफ मटेरियल (BOM - Bill of Material in Tally
Prime)
बिल ऑफ मटेरियल (BOM) का उपयोग उन
प्रोडक्ट्स के लिए किया जाता है, जिन्हें मल्टीपल
कंपोनेंट्स से असेंबल करना होता है।
✅ BOM सेट करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Inventory Info"
→ "Stock Items" → "Create" पर जाएं।
- "Set Component List (BOM)" को Yes करें।
- मुख्य आइटम के लिए आवश्यक Raw
Materials जोड़ें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 उदाहरण:
फाइनल
प्रोडक्ट |
कच्चा माल (Raw
Material) |
Table |
Wood + Nails |
Mobile Phone |
Screen +
Battery + Chipset |
5. जीएसटी (GST)
और टैक्सेशन (Taxation in Tally Prime)
टैली प्राइम GST
और अन्य टैक्सेशन को मैनेज करने के लिए एक
शक्तिशाली टूल है। इसमें GST एक्टिवेशन,
इनपुट और आउटपुट टैक्स क्रेडिट, GST रिपोर्ट्स और रिटर्न
फाइलिंग, TDS और TCS जैसे महत्वपूर्ण फीचर्स उपलब्ध हैं।
1. जीएसटी एक्टिवेशन और
कॉन्फ़िगरेशन (GST
Activation & Configuration in Tally Prime)
जीएसटी (Goods & Services Tax) को टैली प्राइम
में एक्टिव करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करें:
✅ GST को इनेबल करने के लिए:
- Gateway of Tally → "F11: Features" →
"GST" पर जाएं।
- "Enable Goods and Services Tax (GST)"
को Yes करें।
- GST नंबर (GSTIN), रजिस्ट्रेशन
टाइप (Regular, Composition, Unregistered) और स्टेट
सेलेक्ट करें।
- टैक्स टाइप्स (CGST, SGST, IGST) को Define करें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 टिप्स:
- यदि Multi-GST
Locations हैं, तो "Enable GST for Multiple
Locations" को Yes करें।
- Composition Dealers के लिए "Enable Composition
Scheme" को Yes करें।
2. इनपुट टैक्स क्रेडिट
और आउटपुट जीएसटी (Input
Tax Credit & Output GST in Tally Prime)
(A) इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC
- Input Tax Credit)
इनपुट टैक्स क्रेडिट वह टैक्स होता है, जो पर्चेज पर चुकाया जाता है और जिसे आउटपुट टैक्स से एडजस्ट किया जा सकता है।
✅ इनपुट GST को मैनेज करने
के लिए:
- पर्चेज वाउचर (F9) में
"GST Ledger" जोड़ें।
- सही टैक्स स्लैब चुनें (5%, 12%, 18%, 28%)।
- GST का इनपुट टैली प्राइम में ऑटोमैटिक एडजस्ट हो जाता है।
📌 उदाहरण:
पर्चेज
वैल्यू |
GST (18%) |
कुल वैल्यू |
₹10,000 |
₹1,800 |
₹11,800 |
(B) आउटपुट जीएसटी (Output GST in Tally Prime)
आउटपुट GST वह टैक्स होता है, जो सेल्स पर कलेक्ट किया जाता है और सरकार को जमा किया जाता है।
✅ आउटपुट GST को मैनेज करने
के लिए:
- सेल्स वाउचर (F8) में
"GST Ledger" जोड़ें।
- CGST+SGST (इंट्रा-स्टेट) या IGST (इंटर-स्टेट)
लागू करें।
- टैली ऑटोमैटिक इनपुट टैक्स और आउटपुट टैक्स का मिलान
करता है।
📌 उदाहरण:
सेल्स वैल्यू |
GST (18%) |
कुल वैल्यू |
₹20,000 |
₹3,600 |
₹23,600 |
✅ Net Payable GST = Output GST
- Input GST
📌 Example Calculation:
Output GST: ₹3,600
Input GST: ₹1,800
👉
Net GST Payable = ₹3,600 - ₹1,800 = ₹1,800
3. जीएसटी रिपोर्ट्स और
रिटर्न फाइलिंग (GST
Reports & Return Filing in Tally Prime)
(A) जीएसटी रिपोर्ट्स (GST
Reports in Tally Prime)
✅ GST रिपोर्ट देखने के लिए:
- Gateway of Tally → "Display" →
"Statutory Reports" → "GST Reports" पर जाएं।
- यहाँ से GSTR-1,
GSTR-3B, GSTR-2A आदि देखें।
- रिपोर्ट में मैन्युअल
एडिटिंग की जरूरत हो, तो एडिट
करें।
📌 मुख्य GST रिपोर्ट्स:
- GSTR-1: सेल्स से जुड़ी डिटेल्स (महीने के
अंत में फाइल की जाती है)।
- GSTR-3B: GST का मासिक
सारांश (टैक्स पेमेंट और इनपुट टैक्स क्रेडिट)।
- GSTR-2A: पर्चेज से जुड़ी डिटेल्स (सप्लायर
द्वारा फाइल की जाती है)।
(B) जीएसटी रिटर्न
फाइलिंग (GST Return
Filing in Tally Prime)
✅ GST रिटर्न भरने के लिए:
- GST रिपोर्ट्स खोलें और डेटा
को वेरीफाई करें।
- "Export" ऑप्शन का उपयोग करके JSON या Excel
फाइल डाउनलोड करें।
- GST पोर्टल (https://www.gst.gov.in/) पर लॉगिन
करें।
- JSON फाइल को अपलोड करें और रिटर्न फाइल करें।
📌 टिप्स:
- सही GST रेट और HSN/SAC
कोड डालना
जरूरी है।
- ट्रांसपोर्टर डिटेल्स और ई-वे बिल की भी एंट्री करें।
4. टीडीएस (TDS) और टीसीएस (TCS)
(Tax Deducted & Collected at Source in Tally Prime)
(A) टीडीएस (TDS - Tax
Deducted at Source)
TDS सरकार द्वारा लगाया गया स्रोत पर कर कटौती (Tax Deduction at Source) है।
✅ TDS सेटअप करने के लिए:
- Gateway of Tally → "F11: Features" →
"TDS" को Yes करें।
- "TDS Deductee Type" चुनें (Company,
Individual)।
- TDS % सेट करें (जैसे प्रोफेशनल फीस पर 10%)।
📌 TDS रेट्स:
Nature of Payment |
TDS Rate |
प्रोफेशनल सर्विस |
10% |
ठेकेदार भुगतान |
1-2% |
किराया (₹50,000 से अधिक) |
10% |
✅ TDS वाउचर एंट्री:
- Payment Voucher (F5) में
"TDS Ledger" जोड़ें।
- सही "TDS Category" चुनें और Ctrl + A से सेव करें।
(B) टीसीएस (TCS - Tax Collected at Source)
TCS वह टैक्स होता है, जो कुछ विशेष वस्तुओं की बिक्री पर कलेक्ट किया जाता है।
✅ TCS सेटअप करने के लिए:
- Gateway of Tally → "F11: Features" →
"TCS" को Yes करें।
- "TCS Ledger" क्रिएट
करें और टैक्स % सेट करें।
📌 TCS रेट्स:
प्रोडक्ट/सेवा |
TCS दर |
स्क्रैप |
1% |
लक्ज़री कारें |
1% |
कोयला, लोहा |
1% |
✅ TCS एंट्री करने के लिए:
- Sales Voucher (F8) में
"TCS Ledger" जोड़ें।
- TCS % सही तरीके से लागू करें।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ Tally Prime में GST,
TDS और TCS को मैनेज करना आसान है।
✅
GST Reports से रिटर्न फाइलिंग जल्दी की जा सकती है।
✅
Input और Output GST का सही मिलान जरूरी है।
✅
TDS/TCS से टैक्सेशन के नियमों का पालन आसान होता है।
📌 क्या आपको किसी विशेष टॉपिक
पर और जानकारी चाहिए? 😊
6. पेरोल मैनेजमेंट (Payroll
Management in Tally Prime)
पेरोल मैनेजमेंट एक महत्वपूर्ण
फीचर है, जिससे हम एम्प्लॉयी की सैलरी, पीएफ (PF),
ईएसआई (ESI), बोनस, और अन्य वेतन घटकों को आसानी से
मैनेज कर सकते हैं।
1. एम्प्लॉयी क्रिएशन और
सैलरी प्रोसेसिंग (Employee
Creation & Salary Processing in Tally Prime)
(A) पेरोल को इनेबल (Enable Payroll) करना
✅ पेरोल फीचर को चालू करने के
लिए:
- Gateway of Tally → "F11: Features" →
"Payroll" को Yes करें।
- "Maintain Payroll" को Yes
करें और "More
Details" भी Yes करें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
(B) एम्प्लॉयी मास्टर
क्रिएशन (Employee
Master Creation)
✅ एम्प्लॉयी जोड़ने के लिए:
- Gateway of Tally → "Payroll Info" →
"Employees" → "Create" पर जाएं।
- एम्प्लॉयी का नाम,
डिज़िग्नेशन (पद), डेट ऑफ
जॉइनिंग, आदि दर्ज करें।
- एम्प्लॉयी को किसी ग्रुप में असाइन करें (Staff,
Workers, Managerial Staff, आदि)।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 उदाहरण:
फील्ड |
डेटा |
नाम |
अजय शर्मा |
पद |
अकाउंटेंट |
जॉइनिंग डेट |
01-Apr-2024 |
ग्रुप |
ऑफिस स्टाफ |
(C) सैलरी स्ट्रक्चर
सेटअप (Salary
Structure Setup in Tally Prime)
✅ सैलरी कंपोनेंट्स सेट करने
के लिए:
- Payroll Info → "Pay Heads" →
"Create" पर जाएं।
- सैलरी घटकों (Basic Pay, HRA, Allowances,
Deductions) को डिफाइन करें।
- Calculation Type चुनें
(फिक्स्ड या प्रतिशत आधारित)।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 महत्वपूर्ण सैलरी घटक (Salary
Components):
Pay Head |
Type |
Calculation |
बेसिक सैलरी |
कमाई (Earnings) |
फिक्स्ड |
HRA (House Rent Allowance) |
कमाई |
बेसिक का 40% |
ट्रैवल अलाउंस |
कमाई |
₹1,500 प्रति माह |
प्रोविडेंट फंड (PF) |
कटौती (Deduction) |
बेसिक का 12% |
प्रोफेशनल टैक्स |
कटौती |
₹200 |
(D) सैलरी प्रोसेसिंग (Salary Processing in Tally Prime)
✅ एम्प्लॉयी को सैलरी देने के
लिए:
- Payroll Voucher (Ctrl + F4) ओपन करें।
- "Salary Process" ऑप्शन
चुनें।
- सभी एम्प्लॉयी की सैलरी कंपोनेंट्स जोड़ें।
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 उदाहरण:
एम्प्लॉयी नाम |
बेसिक सैलरी |
HRA |
अलाउंस |
PF कटौती |
नेट पे (Net Pay) |
अजय शर्मा |
₹25,000 |
₹10,000 |
₹2,000 |
₹3,000 |
₹34,000 |
2. पीएफ (PF) और ईएसआई (ESI)
(Provident Fund & Employee State Insurance in Tally Prime)
(A) पीएफ (Provident
Fund - PF) सेटअप
✅ PF सेट करने के लिए:
- Payroll Info → "Pay Heads" →
"Create" पर जाएं।
- Name: Provident Fund (PF)
- Under: Deductions from Employees
- Calculation Type: "On Attendance" या "On
Percentage"
- Percentage: बेसिक सैलरी का 12%
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 PF Calculation
Example:
- बेसिक सैलरी = ₹25,000
- PF कटौती = 12% × ₹25,000 = ₹3,000
(B) ईएसआई (ESI - Employee State Insurance) सेटअप
✅ ESI सेट करने के लिए:
- Payroll Info → "Pay Heads" →
"Create" पर जाएं।
- Name: ESI
- Under: Deductions from Employees
- Calculation Type: "On Percentage"
- Percentage: बेसिक + अलाउंस का 0.75%
- Ctrl + A दबाकर सेव करें।
📌 ESI Calculation
Example:
- ग्रॉस सैलरी = ₹20,000
- ESI कटौती = 0.75% × ₹20,000 = ₹150
3. पेरोल रिपोर्टिंग (Payroll Reports in Tally Prime)
✅ पेरोल रिपोर्ट्स देखने के
लिए:
- Gateway of Tally → "Display" →
"Payroll Reports" पर जाएं।
- रिपोर्ट्स:
- Payroll Statements (सैलरी रिपोर्ट)
- Pay Slip (वेतन पर्ची)
- Attendance Reports (हाज़िरी रिपोर्ट)
- PF और ESI
Reports
📌 सैलरी स्लिप का उदाहरण:
फील्ड |
विवरण |
कर्मचारी का नाम |
अजय शर्मा |
पद |
अकाउंटेंट |
बेसिक सैलरी |
₹25,000 |
HRA |
₹10,000 |
अलाउंस |
₹2,000 |
PF कटौती |
₹3,000 |
नेट सैलरी |
₹34,000 |
✅ Pay Slip को प्रिंट या PDF
में सेव कर सकते हैं।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ Tally Prime में पेरोल
मैनेजमेंट करने से सैलरी प्रोसेसिंग, PF/ESI कटौती और रिपोर्टिंग आसान
हो जाती है।
✅
Employee Salary Structure को Customize कर सकते हैं।
✅
PF और ESI ऑटोमेटिक Calculate हो सकते हैं।
✅
Payroll Reports से सैलरी डिटेल्स को अच्छे से एनालाइज कर सकते हैं।
📌 क्या आपको किसी विशेष टॉपिक
पर और जानकारी चाहिए? 😊
7. बैंकिंग और ऑडिटिंग (Banking
& Auditing in Tally Prime)
बैंकिंग और ऑडिटिंग फीचर्स का
उपयोग बैंक ट्रांजैक्शन्स, चेक मैनेजमेंट, डिजिटल
पेमेंट्स, और वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच के लिए किया
जाता है। टैली प्राइम में इन सभी प्रक्रियाओं को आसानी से मैनेज किया जा सकता है।
1. चेक मैनेजमेंट और
बैंकिंग फीचर्स (Cheque
Management & Banking Features in Tally Prime)
(A) चेक मैनेजमेंट (Cheque
Management in Tally Prime)
✅ चेक को मैनेज करने के लिए:
- Gateway of Tally → "Banking" →
"Cheque Management" पर जाएं।
- Cheque Type (Payment, Receipt, etc.) को चुनें।
- Cheque Number और Bank
Details भरें।
- Cheque Issue/Receipt को सही तरीके से अपडेट करें।
- चेक के स्टेटस को "Issued", "Realized" या "Cancelled"
के रूप में ट्रैक करें।
📌 चेक प्रॉसेसिंग के स्टेप्स:
- Payment/Receipt → चेक को
पेमेंट/रिसीव करने के लिए वाउचर एंट्री करें।
- चेक के रियलाइजेशन को ट्रैक करने के लिए Cheque
Status अपडेट करें।
(B) बैंक ट्रांजैक्शन
एंट्री (Bank
Transaction Entry)
✅ बैंक ट्रांजैक्शन्स के लिए
वाउचर एंट्री करें:
- Payment Voucher (F5) और Receipt Voucher (F6) का उपयोग
करें।
- चेक के माध्यम से पेमेंट/रिसीव ट्रांजैक्शन दर्ज करें।
- Banking Master को बैंक ट्रांजैक्शन्स के लिए कॉन्फ़िगर
करें।
- बैंक बैलेंस अपडेट करें।
📌 उदाहरण:
Transaction |
Bank Name |
Cheque No. |
Amount |
Payment |
SBI |
123456 |
₹10,000 |
Receipt |
HDFC |
654321 |
₹20,000 |
2. डिजिटल पेमेंट और UPI इंटीग्रेशन (Digital
Payment & UPI Integration in Tally Prime)
(A) डिजिटल पेमेंट्स (Digital Payments in Tally Prime)
✅ डिजिटल पेमेंट्स के लिए टैली प्राइम ने कई पेमेन्ट गेटवे का इंटीग्रेशन किया है।
- Gateway of Tally → "Banking" →
"Payment" → "Digital Payment" पर जाएं।
- डिजिटल पेमेंट्स के लिए UPI,
NEFT, RTGS, और IMPS जैसे
ऑप्शन्स का चयन करें।
- UPI (Unified Payments Interface) या अन्य
पेमेंट सिस्टम का उपयोग करके ऑनलाइन
ट्रांजैक्शन्स करें।
📌 UPI पेमेंट:
- UPI ID दर्ज करें।
- Amount और Transaction
Reference डालें।
- Payment Confirmation प्राप्त
होने पर ट्रांजैक्शन को फाइनल करें।
(B) UPI इंटीग्रेशन (UPI Integration in Tally Prime)
✅ UPI के माध्यम से पेमेंट ट्रैक
करने के लिए:
- UPI Ledger क्रिएट करें (इसी में सभी UPI पेमेंट्स
की एंट्री होगी)।
- UPI ट्रांजैक्शन्स को बैंक
वाउचर में एंट्री करें।
- UPI QR Code को ट्रांजैक्शन पेज में ऐड करें।
📌 UPI इंटीग्रेशन का
फायदा:
- ट्रांजैक्शन्स को ऑटोमेटिक
कैटेगरी में ऑर्गनाइज करना।
- UPI पेमेंट का ट्रैक रखना।
3. ऑडिटिंग टूल्स और
वेरिफिकेशन (Auditing
Tools & Verification in Tally Prime)
(A) ऑडिटिंग टूल्स (Auditing Tools in Tally Prime)
✅ टैली में ऑडिटिंग टूल्स का
उपयोग:
- Gateway of Tally → "Display" →
"Audit & Compliance" → "Internal Audit" पर जाएं।
- Tally Prime में ऑडिटिंग टूल्स से वित्तीय रिकॉर्ड्स की
जांच की जाती है, जिससे डुप्लीकेट या गलत एंट्री को रोका जा सकता है।
📌 ऑडिटिंग टूल्स में मुख्य
ऑप्शन्स:
- Voucher Verification: सभी
वाउचर्स को वेरीफाई करें।
- Periodical Audit: कुछ खास समय अवधि के लिए
ऑडिटिंग करें।
- Transaction Scrutiny: प्रत्येक
ट्रांजैक्शन की डिटेल्स की जांच करें।
- Mismatch Detection: Mismatch या duplicate entries की पहचान करें।
(B) ऑडिट लॉग (Audit Log in Tally Prime)
✅ ऑडिट लॉग से आप:
- सभी ट्रांजैक्शन्स और वाउचर्स का हिसाब रख सकते हैं।
- किसी भी यूज़र द्वारा किए गए बदलावों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- व्हाइटल एरर और फ्रॉड ट्रांजैक्शन्स को जल्दी
से पहचान सकते हैं।
📌 ऑडिट लॉग में एक उदाहरण:
Trx Type |
User |
Date |
Amount |
Payment |
Admin |
01-Jan-2025 |
₹5,000 |
Receipt |
User1 |
02-Jan-2025 |
₹10,000 |
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ Tally Prime में बैंकिंग और
ऑडिटिंग से वित्तीय ट्रांजैक्शन्स की निगरानी करना आसान हो जाता है।
✅
Cheque Management से सभी बैंक चेक्स को ट्रैक करें।
✅
Digital Payments और UPI का इंटीग्रेशन पेमेंट्स को आसान और सुरक्षित बनाता है।
✅
Auditing Tools से आप सभी वाउचर्स और
ट्रांजैक्शन्स की जाँच और वेरिफिकेशन कर सकते हैं।
📌 क्या आपको किसी अन्य फीचर
या टूल के बारे में जानकारी चाहिए? 😊
8. एडवांस टैली प्राइम
फीचर्स (Advanced Features in Tally Prime)
एडवांस टैली प्राइम फीचर्स से आप अधिक उन्नत सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं जो फाइनेंस,
बजट, मल्टी-करेन्सी सपोर्ट, डेटा मैनेजमेंट और
ई-ट्रांसएक्शन को बहुत आसान बनाती हैं।
1. बजट और लागत केंद्र (Cost Center & Budgeting in
Tally Prime)
(A) बजट (Budgeting in Tally Prime)
✅ बजट सेट करने के लिए:
- Gateway
of Tally → "F11: Features" → "Accounting Features"
→ Enable Budgeting को Yes करें।
- फिर "Accounts Info" → "Budgets" →
"Create" पर जाएं।
- बजट का नाम, वित्तीय वर्ष और अकाउंट्स को
सेलेक्ट करें।
- बजट के
लिए Amount और Period (महीने, तिमाही, वर्ष) सेट करें।
📌 बजट की एंट्री:
खर्च/आय |
वित्तीय वर्ष |
बजट (₹) |
बिक्री |
2025-26 |
₹50,00,000 |
खर्च |
2025-26 |
₹20,00,000 |
शुद्ध लाभ |
2025-26 |
₹30,00,000 |
(B) लागत केंद्र (Cost Center in Tally Prime)
✅ लागत केंद्र को इनेबल करना:
- Gateway
of Tally → "F11: Features" → "Accounting Features"
→ Enable Cost Centers को Yes करें।
- Cost
Centers को Create करने के
लिए, Accounts Info → "Cost Centers" →
"Create" पर जाएं।
- प्रत्येक कोस्ट सेंटर के लिए
अलग-अलग प्रोफिट और लॉस रिपोर्ट जनरेट करें।
- ट्रांजैक्शन्स के लिए Cost Centers
असाइन करें।
📌 लागत केंद्र रिपोर्ट:
- यह
रिपोर्ट हर एक डिवीजन/विभाग के लिए किसी भी
खर्च या आय का ट्रैक रखने में मदद करती है।
2. मल्टी-करेन्सी सपोर्ट
(Multi-Currency
Support in Tally Prime)
(A) मल्टी-करेन्सी सेटअप
(Setting up
Multi-Currency in Tally Prime)
✅ मल्टी-करेन्सी फीचर को चालू
करने के लिए:
- Gateway
of Tally → "F11: Features" → "Accounting Features"
→ Enable Multi-Currency को Yes करें।
- Accounts
Info → "Currencies" → "Create" पर जाएं।
- Currency
Name (उदाहरण: USD, EUR) और Symbol (उदाहरण: $, €) दर्ज करें।
- Currency
Rate को रूपए के
मुकाबले सेट करें (जैसे ₹1 = USD 0.013)।
📌 मल्टी-करेन्सी ट्रांजैक्शन
की एंट्री:
- जब आप Foreign Currency में Payable
या Receivable ट्रांजैक्शन
कर रहे होते हैं, तो आप सही Currency
चुन सकते हैं।
- Exchange
Rate को अपडेट करें, और टैली Currency Conversion ऑटोमैटिकली कर देगा।
3. डेटा एक्सपोर्ट और
इंपोर्ट (Data Export
& Import in Tally Prime)
(A) डेटा एक्सपोर्ट (Data Export in Tally Prime)
✅ डेटा एक्सपोर्ट करने के
लिए:
- Gateway
of Tally → "Display" → "Account Books" →
"Export" पर जाएं।
- Export
Format को चुनें (Text, Excel, PDF, etc.)।
- Date
Range और Ledger/Report को
सिलेक्ट करें और "Export" दबाएं।
- डेटा को Excel या CSV फाइल के
रूप में सेव करें।
📌 उदाहरण:
रिपोर्ट |
फॉर्मेट |
एक्सपोर्टेड डेटा |
Balance
Sheet |
Excel |
अकाउंट्स डिटेल्स
और बैलेंस |
Profit & Loss |
PDF |
नुकसान और मुनाफा रिपोर्ट |
(B) डेटा इंपोर्ट (Data Import in Tally Prime)
✅ डेटा इंपोर्ट करने के लिए:
- Gateway
of Tally → "Import Data" → "Masters" या "Vouchers"
पर जाएं।
- Source
File (Excel या CSV) का चयन करें।
- डेटा को
सही लेजर, ग्रुप या कास्ट सेंटर में
इम्पोर्ट करें।
- इम्पोर्ट
के बाद डेटा की समीक्षा करें और
सुधारें।
📌 इंपोर्ट के फायदे:
- बड़ी
मात्रा में डेटा को ऑटोमैटिकली अपडेट किया जा सकता है।
- अलग-अलग
रिपोर्ट्स को आसानी से मर्ज किया जा सकता है।
4. ई-इनवॉइस और ई-वे बिल
(E-Invoice &
E-Way Bill in Tally Prime)
(A) ई-इनवॉइस (E-Invoice in Tally Prime)
✅ ई-इनवॉइस को चालू करने के
लिए:
- F11:
Features → "GST" → Enable E-Invoicing को Yes करें।
- Gateway
of Tally → "Voucher Entry" → Sales/Purchase Voucher पर जाएं।
- जब आप GST Invoice बनाते हैं, तो Tally
Prime Auto-Generate E-Invoice करेगा।
- E-Invoice
Number और QR Code को
ऑटोमैटिकली जनरेट किया जाएगा।
📌 ई-इनवॉइस के लाभ:
- यह GST Compliance को आसान बनाता है।
- सभी विक्रेताओं और ग्राहकों को ई-इनवॉइस भेजे जा
सकते हैं।
(B) ई-वे बिल (E-Way Bill in Tally Prime)
✅ ई-वे बिल के लिए:
- F11:
Features → "GST" → Enable E-Way Bill को Yes करें।
- Gateway
of Tally → "Voucher Entry" → Sales/Purchase Voucher पर जाएं।
- E-Way
Bill Number को Generate करें।
- अगर E-Way Bill Required है,
तो GST Number और Vehicle Details दर्ज करें।
- E-Way
Bill को Tally Prime द्वारा
जनरेट किया जाएगा।
📌 ई-वे बिल के लाभ:
- यह Goods Transport के दौरान GST
Compliance को सरल बनाता है।
- Supply
Chain के सभी स्टेप्स को ऑनलाइन
ट्रैक किया जा सकता है।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ Tally Prime के एडवांस
फीचर्स से आप आसानी से बजट, लागत केंद्र,
मल्टी-करेन्सी, डेटा एक्सपोर्ट/इंपोर्ट और ई-इनवॉइस/ई-वे बिल को मैनेज कर सकते हैं।
✅
Multi-Currency सपोर्ट से अंतर्राष्ट्रीय ट्रांजैक्शन्स को ट्रैक करना सरल
हो जाता है।
✅
ई-इनवॉइस और
ई-वे बिल की मदद से GST Compliance
और Supply Chain Management अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित हो जाता है।
📌 क्या आपको किसी और फीचर या
सेटअप में मदद चाहिए? 😊
9. टैली प्राइम में MIS
रिपोर्टिंग (MIS Reporting in Tally Prime)
MIS (Management Information
System) रिपोर्टिंग टैली प्राइम में महत्वपूर्ण टूल है जो फाइनेंशियल डेटा और बिजनेस
परफॉर्मेंस का विश्लेषण करने में मदद करता है। यह बैलेंस शीट, P&L अकाउंट, और अन्य फाइनेंशियल रिपोर्ट्स के माध्यम से बिज़नेस के
स्टेटस को प्रभावी ढंग से मॉनिटर करने के लिए उपयोगी है।
1. बैलेंस शीट और P&L अकाउंट (Balance Sheet & Profit & Loss Account in Tally Prime)
(A) बैलेंस शीट (Balance Sheet in Tally Prime)
✅ बैलेंस शीट देखने के लिए:
- Gateway
of Tally → "Display" → "Balance Sheet" पर जाएं।
- बैलेंस
शीट में Assets और Liabilities को विभाजित किया जाता है।
- यह
रिपोर्ट खाते, धन की स्थिति, फंड फ्लो को आसानी
से दिखाती है।
📌 बैलेंस शीट में मुख्य
हिस्से:
- Assets
Side:
o Fixed
Assets (जैसे, भूमि, भवन, मशीनरी)
o Current
Assets (जैसे, Debtors, Stock)
o Investments
- Liabilities
Side:
o Shareholder's
Equity
o Current
Liabilities (जैसे, Creditors, Short-term borrowings)
(B) P&L अकाउंट (Profit & Loss Account in Tally
Prime)
✅ P&L अकाउंट देखने
के लिए:
- Gateway
of Tally → "Display" → "Profit and Loss A/c" पर जाएं।
- Revenue
and Expenses को Income और Expenditure के तौर पर दिखाया जाता है।
- यह
रिपोर्ट व्यापार से हुए लाभ और हुए
नुकसान का प्रदर्शन करती है।
📌 P&L अकाउंट में
मुख्य हिस्से:
- Income
Side:
o Sales
o Other
Income
- Expense
Side:
o Operating
Expenses (जैसे, Salary, Rent, Depreciation)
o Non-operating
Expenses
2. फाइनेंशियल
रिपोर्टिंग और एनालिसिस (Financial
Reporting & Analysis in Tally Prime)
(A) फाइनेंशियल
रिपोर्टिंग (Financial
Reporting in Tally Prime)
✅ फाइनेंशियल रिपोर्टिंग से आप बिज़नेस के वित्तीय आंकड़ों का विश्लेषण कर सकते हैं, जैसे:
- Income
and Expenses: इसमें आय और खर्च की पूरी जानकारी होती है।
- Ledger
Reports: प्रत्येक लेजर की स्थिति को दिखाने वाली रिपोर्ट।
- Cash/Bank
Book: इसमें कैश और बैंक से संबंधित सभी ट्रांजैक्शन की
जानकारी होती है।
📌 विभिन्न रिपोर्ट्स:
- Trial
Balance: अकाउंट्स के सभी लेजर की स्थिति दिखाती है।
- Ageing
Analysis: Debtors और Creditors के उधारी की स्थिति
को देखती है।
- GST
Reports: GST से संबंधित सभी रिपोर्ट्स, जैसे GST Return Filing।
(B) फाइनेंशियल एनालिसिस
(Financial Analysis
in Tally Prime)
✅ फाइनेंशियल एनालिसिस से आप निम्नलिखित विवरणों को विश्लेषित कर सकते हैं:
- Ratio
Analysis:
o Liquidity
Ratios: (Current Ratio, Quick Ratio)
o Profitability
Ratios: (Gross Profit Margin, Net Profit Margin)
o Solvency
Ratios: (Debt Equity Ratio, Interest Coverage Ratio)
- Trend
Analysis:
o Past
Performance का विश्लेषण करके Future Projections तैयार करें।
- Comparative
Statements:
o Current
Period vs Previous Period का डेटा और उसकी तुलना करें।
📌 फाइनेंशियल एनालिसिस से
प्राप्त लाभ:
- व्यापार
के मुनाफे और नुकसान की जल्दी
पहचान होती है।
- निवेशकों
और मालिकों को बिजनेस की स्थिति समझने में
मदद मिलती है।
3. कैश फ्लो और फंड फ्लो
स्टेटमेंट (Cash Flow
& Fund Flow Statement in Tally Prime)
(A) कैश फ्लो स्टेटमेंट (Cash Flow Statement in Tally
Prime)
✅ कैश फ्लो स्टेटमेंट का
उद्देश्य:
- Cash
Flow Statement व्यापार के कैश
इन्फ्लो और कैश
आउटफ्लो की स्थिति को बताता है।
- यह Operating Activities, Investing Activities, और Financing
Activities के आधार पर बनता है।
📌 कैश फ्लो स्टेटमेंट में
मुख्य हिस्से:
- Operating
Activities:
o Net
Profit/Loss
o Working
Capital changes
- Investing
Activities:
o Purchase
or Sale of Fixed Assets
o Investment
in Securities
- Financing
Activities:
o Loan
Received/Repayment
o Equity/Share
Capital changes
(B) फंड फ्लो स्टेटमेंट (Fund Flow Statement in Tally
Prime)
✅ फंड फ्लो स्टेटमेंट का
उद्देश्य:
- Fund
Flow Statement में funds के स्रोत
और उनके उपयोग को ट्रैक किया जाता है।
- यह
रिपोर्ट Working Capital के बदलाव
को दिखाती है, जैसे Short-term
borrowings और Receivables।
📌 फंड फ्लो स्टेटमेंट में
मुख्य हिस्से:
- Sources
of Funds:
o Issue
of Share Capital
o Long-term
Loans
- Uses
of Funds:
o Purchase
of Fixed Assets
o Repayment
of Liabilities
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ MIS रिपोर्टिंग टैली प्राइम में फाइनेंशियल और बिजनेस परफॉर्मेंस की स्थिति का गहरी समझ प्रदान करती है।
✅
Balance Sheet और P&L Account से आपको
व्यापार के वित्तीय स्वास्थ्य का जायजा मिलता
है।
✅
Cash Flow और Fund Flow Statement से फंड्स के
मूवमेंट की पूरी जानकारी मिलती है।
✅
Financial Reporting और Analysis से बिजनेस के निर्णयों को बेहतर बनाया जा सकता है।
📌 क्या आपको किसी और रिपोर्ट
या फीचर की जानकारी चाहिए? 😊
10. टैली प्राइम में ERP
और कस्टमाइज़ेशन (ERP & Customization in Tally
Prime)
टैली प्राइम में ERP
(Enterprise Resource Planning) और कस्टमाइज़ेशन से आप अपनी व्यावसायिक जरूरतों के अनुसार
टैली को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। इसके लिए टैली डेवलपमेंट
लैंग्वेज (TDL), कस्टम रिपोर्टिंग, और API
इंटीग्रेशन का इस्तेमाल किया जाता है।
1. टैली डेवलपमेंट
लैंग्वेज (TDL) का परिचय (Introduction to Tally Development Language - TDL)
(A) TDL क्या है? (What is TDL?)
TDL (Tally Development
Language) एक कस्टमाइजेशन टूल है, जिसे टैली प्राइम और टैली ERP
9 में नए फीचर्स, फंक्शंस, और कस्टम
रिपोर्ट्स बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह प्लेटफॉर्म-विशिष्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जो टैली सॉफ़्टवेयर के अंदर किसी भी प्रकार के
कस्टम बदलाव या नया फंक्शन जोड़ने के लिए इस्तेमाल होती है।
(B) TDL के लाभ (Benefits of TDL)
- कस्टमाइजेशन: किसी भी विशिष्ट बिजनेस
प्रोसेस के अनुसार नए फीचर्स या रिपोर्ट्स डेवेलप करें।
- इंटीग्रेशन: थर्ड पार्टी एप्लिकेशन या सिस्टम्स के साथ टैली को इंटीग्रेट करें।
- आसान
अपडेट्स: किसी भी बदलाव या अपडेट को टैली सॉफ़्टवेयर में बिना किसी मुश्किल के लागू
किया जा सकता है।
📌 TDL का प्रयोग:
- कस्टम
रिपोर्ट्स बनाना
- वाउचर
फॉर्मेट में बदलाव
- टैली के
इंटरफ़ेस में कस्टमाइज़ेशन
2. टैली में कस्टम
रिपोर्ट बनाना (Creating
Custom Reports in Tally Prime)
(A) कस्टम रिपोर्ट कैसे
बनाएं? (How to Create
Custom Reports?)
✅ कस्टम रिपोर्ट बनाने के लिए
TDL का उपयोग करें:
- TDL
सॉफ्टवेयर की मदद से
आप अपनी व्यावसायिक जरूरतों के अनुसार नई रिपोर्ट बना सकते हैं।
- TallyPrime
में नए वाउचर
टाइप, रिपोर्ट्स, और फॉर्मेट्स कस्टमाइज
किए जा सकते हैं।
(B) कस्टम रिपोर्ट का
उदाहरण (Custom Report
Example)
- Sales
Summary Report:
o लक्ष्य: किसी खास दिसंबर महीने के दौरान किए
गए सभी विक्रय की जानकारी देना।
o TDL
में कस्टम रिपोर्ट को सेटअप करने के लिए कोड:
Tally
CopyEdit
[Report: SalesSummary]
Title = "Monthly Sales
Summary"
Include All Vouchers = Yes
Column: SalesAmount
Filter: VoucherType =
"Sale"
- Profit Analysis
Report:
o लक्ष्य: नफा और नुकसान की रिपोर्ट तैयार करना,
जिसमें विभिन्न खातों से प्राप्त इनकम और एक्सपेंस को शामिल किया जाए।
o TDL
कोड:
Tally
CopyEdit
[Report: ProfitAnalysis]
Title = "Profit and Loss
Report"
Filter: VoucherType =
"Sales" OR VoucherType = "Expenses"
Column: IncomeAmount, ExpenseAmount
📌 कस्टम रिपोर्ट के फायदे:
- रिपोर्ट्स को आपके बिजनेस
प्रोसेस के हिसाब से तैयार किया जा सकता है।
- संपूर्ण
डेटा एनालिसिस आसानी से
किया जा सकता है।
3. API और थर्ड-पार्टी
इंटीग्रेशन (API and
Third-Party Integration in Tally Prime)
(A) API क्या है? (What is API?)
API (Application Programming
Interface) एक मिडलवेयर है, जो टैली प्राइम को अन्य सॉफ़्टवेयर और एप्लिकेशन से जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। API
की मदद से सिस्टम्स के बीच डेटा एक्सचेंज को आसानी से
किया जा सकता है।
(B) टैली API का उपयोग (Using
Tally API)
- Tally
API का प्रयोग डेटा
इंटीग्रेशन और ऑटोमेटेड
ट्रांजैक्शन्स के लिए
किया जाता है।
- API
के माध्यम से आप टैली प्राइम के डेटा को बाहरी
सॉफ़्टवेयर जैसे CRM,
ERP Systems, या ऑनलाइन
प्लेटफॉर्म से इंटीग्रेट कर सकते हैं।
- API
के जरिए आप वाउचर
डेटा, GST रिपोर्ट, कैश फ्लो और अन्य डेटा को आसानी से मिनटों
में अपलोड या डाउनलोड कर सकते हैं।
📌 API का उदाहरण:
- API
का उपयोग करने से
आप ऑटोमेटिक ट्रांजैक्शन कर सकते
हैं।
- Customer
Data को CRM से सीधे
टैली में इम्पोर्ट कर सकते हैं।
(C) थर्ड-पार्टी
इंटीग्रेशन (Third-Party
Integration)
टैली प्राइम में विभिन्न थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन्स और सिस्टम्स के साथ इंटीग्रेशन करने के लिए कई
तरीके हैं। इसमें शामिल हैं:
- GST Software
Integration:
o टैली प्राइम
में GST Reports को थर्ड-पार्टी GST Filing Software के साथ इंटीग्रेट किया जा सकता है।
- Payment
Gateways Integration:
o Payment
Systems जैसे UPI, Paytm, Stripe को टैली के पेमेन्ट वाउचर के साथ जोड़ा जा सकता है।
- E-commerce
Platforms Integration:
o E-commerce
websites जैसे Amazon, Flipkart, और Shopify के साथ डेटा का ऑटोमेटेड
ट्रांसफर।
📌 थर्ड-पार्टी इंटीग्रेशन के
लाभ:
- ऑटोमेशन से कार्य की गति और सटीकता बढ़ती है।
- सिस्टम्स
के बीच डेटा एक्सचेंज को सरल और
तेज बनाता है।
- समय की
बचत होती है, जिससे व्यापार के संचालन में सुधार आता है।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
✅ टैली डेवलपमेंट लैंग्वेज (TDL)
के माध्यम से
आप कस्टम रिपोर्ट्स, नए फीचर्स, और कस्टमाइजेशन की पूरी क्षमता का लाभ उठा सकते हैं।
✅
API और थर्ड-पार्टी इंटीग्रेशन से आप टैली को अन्य सिस्टम्स के साथ आसानी से जोड़ सकते हैं।
✅
कस्टम
रिपोर्टिंग से आपकी बिजनेस की
जरूरतें और फाइनेंशियल डेटा बिल्कुल आपकी पसंद के अनुसार तैयार की जा सकती है।
📌 क्या आपको टैली में और किसी
विशेष कस्टम रिपोर्ट या इंटीग्रेशन के बारे में जानना है? 😊
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